यह लंबे समय से बहस का विषय बना हुआ है, और कई आरोपों और पेट्रोल डीजल के आसमान छूटे दामों के कारण भारत बंद है इसके बावजूद, केंद्र शामिल समावेशन के बारे में निष्क्रिय लगता है।
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क जो कि 12 गुना बढ़ चुका है, इसपर संशोधन कराने के लिए और पेट्रोल - डीजल पर GST कि मांग करते हुए , कांग्रेस के नेतृत्व में आज भारत बंद का आवाहन किया गया है । कई कांग्रेस नेताओं ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस उद्देश्य को पूरा नहीं करना चाहती व उन्होंने ही पेट्रोल डीजल पर GST लगाने से रोका है |
जून, 2018 में टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार "दोनों इंधनो पर GST लगाने से पहले, केंद्र को यह तय करना होगा कि क्या वह 20,000 करोड़ रुपये के इनपुट कर क्रेडिट को छोड़ने के इच्छुक है या नहीं, जो वर्तमान में पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, जेट ईंधन और कच्चे तेल से माल और सेवा कर (GST) शासन जो 1 जुलाई, 2017 से लागू हुआ उसके बाद उन्हें मिला "|
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इसपर एक सरकारी अधिकारी का जवाब था कि दुनिया के अन्य देशों में भी जहां पेट्रोल और डीजल पर कोई शुद्ध GST नहीं है फिर भी यह हर जगह GST और VAT का संयोजन है, और ऐसा ही भारत में भी है।
लेकिन यहां मुद्दा यह है कि केंद्र सरकार इस समझौते से करोड़ों कमाई कर रही है, जो निश्चित रूप से वह छोड़ना नहीं चाहती, और इसपर वह अन्य देशों का बहाना-व-उदाहरण दे रही है |
विपक्ष के मुताबिक, अगर सरकार चाहती है, तो बढ़ती कीमतों को नियंत्रित कर सकती है। अभी, कई देश भारत से सस्ते दरों पर पेट्रोल और डीजल आयात कर रहे हैं, जबकि यह हमारे लिए अधिक महंगा हो रहा है।
अगर GST में पेट्रोल और डीजल शामिल किए जाते, तो कीमतें प्रति लीटर 10-15 रुपये कम हो गई होती |