शशांक खेतान के निर्देशन में बनी
जाह्नवी कपूर और
ईशान खट्टर की फिल्म
धड़क 20 July 2018 को रिलीज़ हुए | फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत से ही फिल्म को लेकर लोगों की अलग- अलग राय सुनने को मिलीं | जहाँ एक तरफ कुछ लोग धड़क की प्रशंसा कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर धड़क की सैराट से तुलना कर उसे कचरे का ढेर बुलाया गया | धड़क में जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर द्वारा
मधुकर और
पार्थवी का किरदार निभाया गया है |
धड़क फिल्म मराठी सुपर हिट सैराट की रीमेक है, इसलिए फिल्म से उम्मीदें तो बढ़ ही गयीं साथ ही उसकी उतनी ही निंदा भी हुई | दर्शको में धड़क इतने महीनो से चर्चा में है, और इसका एक बड़ा कारण यह है, कि फिल्म में जाह्नवी कपूर को कास्ट किया गया | जो अपनी माँ श्रीदेवी की मृत्यु के बाद से ही limelight में है | वही दूसरी और ईशान खट्टर की एक्टिंग लोगो का मन मोहने में सफल रही |
कैसा रहा धड़क का प्रदर्शन :
- अव्यवस्थित स्क्रीनप्ले
फिल्म का स्क्रीनप्ले कुछ कमाल का दिखाई नहीं दिया | एक सीन से दूसरे सीन में जाने की प्रक्रिया न तो स्पष्ट थीं और न ही यथार्थवादी | कहानी का प्रथम भाग जहाँ ठहराव पूर्ण था वहीं दूसरा भाग मानो भाग रहा हो |
कहानी में बदलाव
फिल्म की कहानी सैराट से ली गयी परन्तु ऐसे बहुत से सीन है जहाँ कहानी में बदलाव नज़र आते है | जहाँ एक तरफ सैराट में लड़के के पिता मछुवारे दिखाए गए थे वहीं दूसरी और धड़क में उन्हें रेस्ट्रॉन्ट का मालिक दिखाया गया | सैराट में एक बहुत ही सीधी साधी कहानी थीं जो पूर्ण रूप से विश्वसनीय भी थी परन्तु धड़क की कहानी ने खुदपर विश्वास कराने की कोशिश तो की परन्तु उसमे सफल न हो सकी |
करन जोहर का टैग
किसी फिल्म पर यदि करन जोहर का टैग लग जाए तो समझ जाओ की वो एक मसाला फिल्म होगी जिसमें यथार्थवाद की कमी पूर्ण रूप से होगी | करन जोहर के dharma production में बनी बाकी सभी फिल्मो की ही रूप रेखा में बनी फिल्म धड़क भी कुछ नया प्रस्तुत करने में असफल प्रतीत हुई | अमीरी -गरीबी का प्लाट , आलिशान महल , प्यार के लिए दुनिया से जंग व ओवरएक्टिंग करन जोहर की फिल्मो की विशेषता है , जोकि धड़क में भी देखने को मिली |
अभिनय और संगीत :
जाह्नवी और ईशान के अभिनय की बात करे तो इसमें कोई दोराये नहीं की ईशान का अभिनय जाह्नवी से बहुत ही बेहतर व परिपक्व दिखाई पड़ता है वहीं जाह्नवी ने पूरी कोशिश तो की परन्तु ऐसे बहुत से सीन रहे जहाँ उनका अभिनय कुछ ख़ास नहीं रहा | फिल्म का म्यूजिक उम्दा रहा परन्तु कुछ गानो में ऐसा लगा जैसे संगीत में बोलों को जबरदस्ती घुसाया गया |
सैराट और धड़क में से कौन है बेहतर :
सैराट में जहाँ एक तरफ सब कुछ विश्वसनीय प्रतीत होता है वहीं धड़क उस विश्वसनीयता को कायम नहीं रख पायी | झिंगाट पर जहाँ सैराट के कलाकार अपनी ही धुन में थिरके वहीं गाने की कोरियोग्राफी ने गाने की जीवंतता खत्म कर दी | सैराट एक गाँव के दृश्य में बनी फिल्म थी वहीं धड़क के सेट्स किसी स्वर्गीय नगरी जैसे लगे जो यह प्रस्तुत करते है की यह एक फिल्म है न की एक कहानी | सभी तरह से तुलना करने पर सैराट धड़क से ज्यादा अच्छी फिल्म प्रकट होती है|