समलैंगिकता का अधिकार भारतीय परम्पराओ क...

C

| Updated on September 15, 2018 | Education

समलैंगिकता का अधिकार भारतीय परम्पराओ के अनुरूप है ?

2 Answers
960 views
S

@seemathakur4310 | Posted on September 15, 2018

देखिये यह सचमुच एक वाद विवाद का मुद्दा है और मुझे ख़ुशी है की किसी ने इस विषय पर बात करने के लिए कदम उठाया है | समलैंगिकता का अधिकार अभी पिछले ही दिनों भारत में रहने वाले समलैंगिक लोगो को मिला है | धारा 377 जिसके अनुसार समलैंगिकता भारत में एक अपराध था, को हटा दिया गया जिसके चलते जहां एक तरफ लोगो ने इसपर अपनी ख़ुशी का प्रदर्शन किया वहीं अभी भी भारत का एक बड़ा हिस्सा इस कानून के हटने से सहमति नहीं रखता व समलैंगिकता को अपराध ही मानता है |

भारतीय परम्पराओं के विषय में बात करें तो आधी से ज्यादा ऐसी परम्पराएं है जिनका पूर्ण रूप से खंडन किया जाता है अथवा किया जाना चाहिए | भारतीय परम्पराओ में बाल विवाह, सती प्रथा, जाति-पाति के भेद जैसी अनेक कुप्रथाएं है जो भारतीय समाज में थीं और आज भी हैं, तो हम किस आधार पर समलैंगिकता को भारतीय परम्पराओ के अनुरूप मानना चाहते हैं ? मैं यह नहीं कहती की मैं पूर्ण रूप से भारतीय परम्पराओ के खिलाफ हूँ, बल्कि मेरा मानना है की भारतीय परंपरा बहुत सी चीज़ो में विश्व के अन्य देशो की परम्पराओं से कही आगे व विशाल है | भारत में बच्चे माता पिता का सम्मान करते हैं, शादी के बंधनो को पूरे मन से निभाते हैं व भाईचारे में विश्वास रखते हैं | परन्तु परम्पराओ में बहुत सी कुरीतिया भी हैं और यदि हम समलैंगिकता को भारतीय परम्पराओ से अलग मानते हैं तो यह शायद एक बहुत ही अच्छी बात है |

Loading image...

प्रेम सम्बन्धो के विषय में भारत के लोगो की सोच इस बात पर निर्भर नहीं करती की उनके बच्चे क्या चाहते हैं परन्तु इस बात पर निर्भर करती है की लोग क्या कहेंगे | यह एक बहुत बड़ा कारण है की समलैंगिकता क्यों एक मुद्दा बना हुआ है | जहाँ लोग लड़के लड़की के प्रेम को स्वीकार नहीं कर पा रहे वहाँ वह समलैंगिक प्रेम को किस तरह स्वीकार करेंगे | लोग अपने बच्चो को बचपन से जहाँ यह सिखाते हैं की रोना लड़कीओ का काम है, आवाज़ दमदार हो तभी तुम लड़के हो या शादी करके घर लड़किया आती हैं लड़के नहीं जाते वहाँ समलैंगिकता भारतीय परम्पराओं के अनुरूप कैसे हो सकती है |


अतः यह बहुत ही अच्छी बात है की समलैंगिकता भारतीय परम्पराओं के अनुरूप नहीं हैं क्योंकि भारत को बहुत आवश्यकता है अपनी कुछ परम्पराओ को बदलने की और समलैंगिकता इस बदलाव में उठने वाला पहला कदम है | वह सभी लोग जो अपनी लैंगिक पहचान को केवल इसलिए छिपाते हैं क्योंकि वह भारतीय समाज में अस्वीकृत हैं, उन्हें केवल मेरी एक ही सलाह है " जियो अपने लिए, अपने प्रेम के साथ और अपनी असली पहचान के साथ क्योंकि अंत में यह समाज या परम्पआयें आपको ख़ुशी नहीं देंगी, आप खुद देंगे, और खुश रहना जीवन की पहली शर्त है क्योंकि बिना ख़ुशी जीवन का कोई अभिप्राय नहीं है" |

Loading image...
0 Comments

@anitakumari1382 | Posted on September 15, 2018

देखिये मैं एक बुजुर्ग महिला हूँ और मेरी उम्र भी हो चुकी है, तो शायद लोग मुझे पूरानी सोच का व्यक्ति समझे परन्तु अगर में अपनी राय दूँ तो यह समलैंगिकता जैसी चीज़े मेरी समझ में तो नहीं आती | एक हमारा ज़माना था जब लड़के लड़किया एक दुसरे के प्रेम में पड़ते थे तो छुप छुपकर एक दुसरे को देखा करते थे | अब एक यह ज़माना हैंजब लड़के लड़को को ही देखते रहते हैं | यह भी कोई बात होती है भला | भारतीय संस्कृति यह कभी नहीं थी न ही है | यह तो कोई और ही सभ्यता पनप रही है यहां | समलैंगिकता है क्या मुझे तो समझ नहीं आता | दो थप्पड़ लगाने चाहिए उन बच्चो को जो गलत राह पर चलते हैं और उनके माता पिता को भी जो उन्हें नहीं रोकते |


Loading image...

0 Comments