क्या स्कूल के छात्र वास्तव में स्वतंत्रता दिवस के मूल्य को समझते हैं? - letsdiskuss
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Ruchika Dutta

Teacher | पोस्ट किया | शिक्षा


क्या स्कूल के छात्र वास्तव में स्वतंत्रता दिवस के मूल्य को समझते हैं?


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Physical Education Trainer | पोस्ट किया


आपने यह बहुत ही अच्छा सवाल पुछा है । हालांकि सवाल यह होना चाहिए कि क्या वास्तव में हम सभी स्वतंत्रता दिवस के मूल्य को समझते हैं? जैसे की आपने बच्चों के बारे में सवाल किया है तो में आपको इस विषय में आलोचनात्मक जवाब दूंगी। हमारे बच्चे सवतंत्रता दिवस कैसे मनाते है यह इस बात पर निर्भर करता है की हम स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाते है और बच्चो को उसके विषय में क्या सिखाते हैं |


स्वतंत्रता दिवस का पहला अनुभव बच्चो को उनके विद्यालय में मिलता है | राष्ट्रीय त्यौहारों अर्थात स्वतंत्रता दिवस जैसे दिनों में विद्यालयों द्वारा समारोह आयोजित होते है जिनमे प्रायः सांस्कृतिक कार्यक्रम, मिठाई बांटना , देशभक्ति गीतों को गाना , राष्ट्रीय ध्वज फहराना , राष्ट्रीय गान गाना , और विभिन्न भाषण देना शामिल है |


यह सभी कार्यक्रम बच्चो के लिए पढ़ाई से छुटकारा पाने का एक अच्छा बहाना बन जाते है | 15 अगस्त हम सभी के लिए एक छुट्टी का दिवस बनकर रह गया है जिसमे हम या तो घर में आराम करते हैं या पिकनिक पर जाना पसंद करते हैं | बच्चो को अधिकतर राष्ट्रीय ध्वज वाला मेकअप, भारत माता जैसे कपड़े पहनना , तड़कते भड़कते देशभक्ति गीत गाना और उस पर नृत्य करने में ही मज़ा आता हैं और वह उसी के लिए उत्साहित भी रहते हैं | उत्सव का सबसे उबाऊ हिस्सा भाषण हैं जो कोई भी छात्र वास्तव में सुनता या समझता नहीं है। दिन के अंत में बच्चे झंडे से गिरने वाली टॉफियों के लिए एक दूसरे के साथ लड़ते हैं और "सारे जहां से अच्छा" और "जन मन गण" के गलत बोल गाकर चले जाते हैं |


इन सभी के बीच स्वतंत्रता दिवस का वास्तविक मूल्य कही खो गया हैं और हम सभी भूल गए हैं की किस तरह हमने यह स्वतंत्रता प्राप्त की थी | 16 अगस्त आते हैं हम अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाते हैं और अपने देश को एक बार फिर पीछे छोड़ देते हैं |


देशभक्ति से अधिक व्यावसायीकरण के उद्देश्य को पूरा करने वाले छोटे छोटे झंडो का होता यह है कि उत्सव खत्म होने के बाद बच्चे उन्हें सड़कों पर या धूल में कसी कूड़ेदान में फेंक देते हैं।


अगर हम विद्यालय के छात्रों को स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सच्चे देशभक्ति भावनाओं को प्रेरित करने में सक्षम रहें, तो उन्हें देश, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय त्यौहार के प्रति कम से कम कुछ सम्मान होगा ।


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(Courtney : indiatoday.in )


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