27 जनवरी 1996 में चारा घोटाले का एक नया मामला सामने आया, जो की बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के द्वारा किआ गया था, जिसमे 62 लोगों को सजा सुनाई गयी थी। इसे पशु पालन घोटाला ही कहा जाना चाहिए क्यूंकि मामला सिर्फ चारे का ही नहीं है, असल में घपला बिहार सरकार के खजाने से गलत ढंग से पैसे निकालने का है। यह मामला पशु पालन विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की मिली भगत से हुआ। मामला एक-दो करोड़ रूपए से शुरू होके 900 करोड़ रूपए तक पहुंच गया। झारखंड-बिहार पुलिस ने 1994 में राज्य के ट्रेज़री गुमला, रांची, पटना, डोरंडा और लोहरदंगा जैसे कई कोषागारों से फ़र्ज़ी बिलों के जरीये करोड़ रूपए की अवैध निकासी की। जैसे ही मामला संज्ञान में आया, रातों रात अधिकारीयों की धरपकड की गयी।

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जांच की कमान संयुक्त निर्देशक यू.न. विश्वास को सौँपा गया, यहीं से जांच का रुख बदल गया। पशु पालन विभाग के अधिकारीयों ने चारे-पशुओं की दवा आदि की सप्लाई के लिए करोड़ रूपए के बिल नियमित कई वर्षों तक बनाये। इस मामले में बिहार के एक पूर्व मुख्य मंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी गिरफ्तार किया गया और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ़ भी सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया। इस प्रकार लालू प्रसाद यादव समेत 16 अभियक्तों को सजा सुनाई गयी, इस प्रकार खजाने का रक्षक ही भक्षक बन गया।
Reference:
https://www.bbc.com/hindi/india-39841902