मनुष्य की आस्था जब अंधविश्वाश बन जायें तो सिर्फ विनाश होता हैं | भगवान कभी नहीं कहते के मेरे लिए भूखे रहों, मेरे लिए सुबह-सुबह ठन्डे पानी से नहाओ, बिना चप्पल केगर्मियों में मेरे मंदिर तकआओ | भगवान अपने भक्त से सिर्फ आस्था की कामना करते हैं | वतर्मान समय के लोगों ने भगवान को भगवान नहीं, बल्कि शैतान बना दिया हैं | भगवान के नाम पर लोगों ने व्यापार शुरू कर दिया हैं |
आस्था :-
जब तक मनुष्य के अंदर आस्था होती हैं, तब तक उसका जीवन बहुत ही आसान होता हैं | जीवन में सिर्फ शांति और ख़ुशी होती हैं | मनुष्य कम से कम चीज़ों में भी अपना सही गुज़ारा कर लेता हैं | मनुष्य के अंदर सिर्फ भगवान के प्रति भक्ति होती हैं , न किसी से ईर्ष्या, न किसी से बैर बस भगवान की भक्ति | हर रोज भगवान का नाम लेकर अपना काम शुरू करना यही हैं, "आस्था"
अन्धविश्वाश :-
मनुष्य के अंदर जब अन्धविश्वास आता हैं, तब उसके अंदर भगवान की भक्ति नहीं, बल्कि शैतान की शक्ति जन्म लेने लगती हैं | शिवलिंग पर दूध चढ़ाना,शनि देव की मूर्ति पर सरसों का तेल डालना ये सब भक्ति नहीं हैं |
हम नहीं कहते, कि शिवलिंग पर दूध मत चढ़ाओ, पर सिर्फ उतना जितना अपनी आस्था के बराबर हो, न कि अंधविश्वाश के बराबर,शनिदेव सबसे अधिक गुस्से वाले भगवान माने जाते हैं, पर मुझे नहीं लगता, कि वो अपनी इस तरह से होने वाली पूजा से खुश होते होंगे |
कुछ लोग शनिदेव की प्रतिमा पर लीटर से लीटर सरसों तेल डालते हैं |उन पर तेल डालने से अच्छा हैं, उनके नाम से एक ज्योत जला दो, और बाकी तेल किसी जरूरतमंद इंसान को दे दो |
अगर साफ़-साफ़ शब्दों में कहा जायें तो आस्था और अन्धविश्वास में बस एक धागे भर का फर्क होता हैं |
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