वर्तमान समय की, पढ़ाई इतनी कठिन हो गई है, कि हर माँ-पिता इस बात कि चिंता में है, कि क्या किया जाये ? अक्सर माता-पिता पढ़ाई को लेकर बच्चों पर काफी दबाव डालते हैं, गुस्सा होते हैं, बातें सुनते हैं, ये बात अक्सर बच्चे को पसंद नहीं आती, परन्तु बच्चे हैं, वो ये नहीं जानते कि माँ-पिता का नाराज़ होना स्वाभाविक होता हैं, क्योकिं माता-पिता को अपने बच्चों की फ़िक्र हैं , वो अपने बच्चे के भविष्य के लिए उसको गुस्सा दिखातें हैं, न की किसी और बात पर |
माता-पिता के सिवा अपने बच्चों की फ़िक्र कोई और नहीं करता | पर ये बात सिर्फ माता-पिता अपनी तरफ से सोचते हैं, पर मुझे लगता हैं, एक बार माता-पिता को अपने बच्चे के Point of View से भी सोचना चाहिए |
ये बात तो माता-पिता और उनकी फ़िक्र की हो गई, अब बात करते हैं, आज के सवाल की - हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनका बच्चा सबसे एक बड़ा और क़ामयाब इंसान बनें | इसके लिए वो अपने बच्चे को कई सारी facility भी देते हैं | उनके द्वारा दी जाने वाली facility के बाद भी बच्चा पढ़ाई में, कमजोर होता हैं, तो माता-पिता को दुःख होता हैं | पर एक बात माता-पिता को भी समझनी चाहिए, कि उनका ये बार-बार बच्चे को पढ़ाई के लिए बातें सुनना, या गुस्सा करना सही नहीं हैं | बच्चे इससे चिढ़ जाते हैं, पढ़ाई से भी और कई बार माता-पिता से भी |
बच्चे का पढ़ाई को लेकर चिढ़ना इस बात का संकेत :-
- आपका बच्चा अपने आपको अकेला महसूस करने लगता हैं |
- वो आपसे दूरी बना लेता हैं, और अक्सर उसको अकेलापन पसंद आने लगता हैं |
- आपकी कही छोटी से छोटी बातों पर उनको गुस्सा आने लगता हैं, और बात-बात पर उनको रोना आ जाता हैं |
- बच्चे फिर खाने पीने में ज्यादा ध्यान नहीं देते, और न ही उन्हें खाने में कोई दिलचपी रह जाती हैं |
- उन्हें school जाना पसंद नहीं आता, कई बार बच्चे school के लिए निकल तो जाते हैं, पर class में नहीं होते |
- अपनी कोई भी छोटी या बड़ी परेशानी वो किसी से share नहीं करते, क्योकिं उन्हें हर वक़्त यही लगता हैं, कि अगर उन्होंने अपनी परेशानी बताई तो शायद माता-पिता गुस्सा होंगे |
मैं ये नहीं कहती कि माता-पिता का बच्चों को गुस्सा करना गलत हैं, परन्तु एक बार
अपनी और बच्चे की Generation Gap को देखते हुए, माता-पिता को भी उनको समझना चाहिए |
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