डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णनः जीवन परिचय एवं शिक्षा
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुत्तणि में 5 सितंबर 1888 ई. को एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुत्तणि में, फिर वेलूर तथा मद्रास में हुई। बचपन से ही मेधावी तथा विशिष्ट स्मरण-शक्ति से भरपूर थे। इंटरमीडिएट परीक्षा में सर्वप्रथम उत्तीर्ण हुए।
डॉ राधाकृष्णन ने अपना जीवन एक शिक्षक के रूप में प्रारंभ किया था। वह सन् 1908 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हुए सन् 1931 में वे आंध्र विश्वविद्यालय के उप कुलपति बने।
श्रेष्ठ शिक्षकः
- डॉ. राधाकृष्णन गांधी जी के परम भक्त थे।
- साथ ही निडर नेता भी थे।
- वे आचरण में शुद्ध भारतीय थे।
- वे सादा जीवन बिताते थे।
- प्रतिदिन 12 घंटे अध्ययन करते थे।
- छात्रों को मनोयोग से पढ़ाते थे।
- वे शिक्षा जगत में नई प्रवृत्तियों को ले आने में मदद करते थे।
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इन सब कार्यों में उन्हें श्रेष्ठ शिक्षक की पदवी दी।
स्वतंत्र भारत की संविधान-सभा के सदस्य बनकर विधान बनाने में डॉ. राधाकृष्णन का योगदान महत्वपूर्ण रहा। सन् 1952 में उपराष्ट्रपति बने। फिर सन 1962 में भारत के राष्ट्रपति भी बने। राष्ट्रपति को दस हजार रुपये का मासिक वेतन मिलता था। परंतु उन्होंने राष्ट्रपति होकर केवल ढाई हजार रुपये ही अपने वेतन के रूप में लिये थे।
धार्मिक पुरुषः
डॉ. राधाकृष्णन वास्तव में धार्मिक पुरुष थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति अपने परिवार एवं समाज का उपयोगी सदस्य बन सकता है।
ऐसा महान व्यक्तित्व रखनेवाले डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
- डॉ. राधाकृष्णन सच्चे देशभक्त थे।
- डॉ. राधाकृष्णन कुशल प्रशासक,
- सफल शिक्षक,
- विख्यात सांसद,
- प्रसिद्ध लेखक,
- गंभीर चिंतक तथा ईमानदार राजनीतिज्ञ रहे।
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दीर्घ समय तक भारत माता की सेवा करने के बाद दिनांक 16 अप्रैल, 1975 को वे इस दुनिया से विलीन हो गए।
उन्होंने कहा था – “महात्माओं को जन्म देने वाला देश भारत है | यह देश अटल और महान है |”