जी मीडिया समूह |संपादक ( वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक अखबार ) | पोस्ट किया | News-Current-Topics
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सिंगापुर में किम-जोंग-उन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात ने पूरी दुनिया को राहत की अनुभूति करवाई है।उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग को सनकी माना जाता है। उनके अमेरिकी समकक्ष ट्रम्प भी आंशिक रूप में वैसे ही हैं। इसीलिए दोनों की वार्ता को लेकर बड़ा संशय था। यह आशंका बाहरी नहीं थी, बल्कि ट्रम्प और जोंग ने खुद ऐसे बयान दिये थे। दोनों ने कहा था कि मिजाज न मिला तो वार्ता शुरू होते ही खत्म हो जायेगी। ऐसे तल्खी के आलम में दोनों की बात 50 मिनट चली। यह ट्रम्प व जोंग संयोग का ही कमाल है। दोनों फिर मुलाकात के लिए सहमत हुए, यह राहत का विषय है। दोनो देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर भी किये गये। संयुक्त रूप से वार्ता के क्रम को जारी रखने पर सहमति बनी। विश्व के लिए यह राहत की खबर है। इससे उम्मीद जगी है कि किम अब कोई परमाणु या मिसाइल परीक्षण नहीं करेंगे।
कुछ समय पहले एक दूसरे को बर्बाद करने की धमकी देने वाले दोनों शासक इतनी जल्दी शांति की मेज पर आ जायेंगे, इसकी उम्मीद नहीं थी। ज्यादा समय नहीं हुआ जब किम जोंग सीधे अमेरिका को नेस्तेनाबूद करने की धमकी देते थे। दूसरी तरफ ट्रंप पेरिस जलवायु संधि सहित कई अंतरराष्ट्रीय समझौते तोड़ चुके हैं। वह एकाएक किसी वार्ता से अपने को अलग करके बाहर आ जाते हैं। इस वार्ता से ठीक पहले वह कनाडा में थे। यहां जी-7 शिखर सम्मेलन में साझा बनाने तक वह साथ थे, लेकिन जब उसे जारी करने का समय आया तो ट्रंप सिंगापुर कूच कर गए। उन्होंने अपने को इस सम्मेलन से अलग कर लिया।
ऐसे में किम से मुलाकात को लेकर भी कई आशंकाएं थीं। डर था कि अभी बात न बनी तो आगे कब क्योंकि 1950 से लेकर 1953 तक हुए कोरियाई युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली शिखर वार्ता थी। किम ने ट्रंप को जुलाई में दूसरी मुलाकात के लिए उत्तर कोरिया आने का न्योता दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दोनों नेताओं की दूसरी वार्ता भी हो जाती है तो तीसरी मुलाकात वॉशिंगटन में होगी।
वास्तव में, उत्तर कोरिया द्वारा एक के बाद एक मिसाइल और परमाणु परीक्षणों की वजह से न केवल कोरियाई प्रायद्वीप में काफी तनाव बढ़ गया था, बल्कि पूरी दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडराने लगा था। तनाव की स्थिति में दोनों देश वार्ता की मेज पर आकर सौहार्दपूर्ण माहौल में बात करने के लिए तैयार हो गये, तो इसे ही एक बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। ट्रंप ने जहां 34 वर्षीय किम-जोंग-उन के कंधे पर हाथ रख कर अपनापन दिखाया, वहीं किम ने इस मुलाकात को विश्व शांति के लिए अहम मुलाकात की संज्ञा दी। दोनों देशों के बीच जिस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं, उसमें प्रारंभिक सूचनाओं के मुताबिक पूरे कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु शस्त्र रहित बनाने की बात पर सहमति हुई है। अमेरिका भी दक्षिण कोरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात के लिए तैयार हो गया है। वहीं उत्तर कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षकों के देखरेख में परमाणु निरस्त्रीकरण प्रक्रिया शुरू करने बात मान ली है। किम-जोंग-उन इस वार्ता के पहले ही बता चुके हैं कि उत्तर कोरिया के एक महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण स्थल को नष्ट कर दिया गया है।
निश्चित रूप से दोनों देशों को आपसी शांतिपूर्ण संबंध कायम करने की दिशा में अभी एक लंबा सफर तय करना है। इसके बावजूद ट्रंप और किम की मुलाकात एक ऐसी शुरुआत कही जा सकती है, जिसे ट्रंप प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह विश्व शांति की दिशा में एक अहम पड़ाव साबित होगा।