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English


Sneha Bhatiya

Student ( Makhan Lal Chaturvedi University ,Bhopal) | पोस्ट किया |


SC और ST act क्या है ?


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Delhi Press | पोस्ट किया


SC , ST act पर Supreme Court ने जो फैसला सुनाया उसके बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन का माहौल बना हुआ है, जिसके चलते 6 सितम्बर को भारत बंद भी हुआ था | SC ,ST वर्ग के भारत बंद के आवाहन के बाद अब सरकार ने Supreme Court के दिए हुए फैसले को बदलने को कहा है |


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SC ,ST Act

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए बनाया गया एक Act है जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति और जनजाति को समाज में समान अधिकार देने का प्रवधान है | यह act 1989 में बनाया गया था, और इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ इतना था कि समाज में अनुसूचित जाति और जनजाति को समान अधिकार मिले |


इस act के अनुसार अनुसूचित जाति और जनजाति को कानून की तरफ से सही मदद मिले और उन्हें सरकार द्वारा आरक्षण के रूप में कई सुविधाएं मिले | वैसे तो SC और ST act का नियम सिर्फ दलितों को आरक्षण देना, भेदभाव ख़त्म करना और उन्हें समाज में समान अधिकार दिलाने का था, परन्तु दलितों को दिए आरक्षण के कारण शायद सरकार General category वालों को भूल ही गई |

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अनुसूचित जाति और जनजातियों को आरक्षण देने के कारण सरकार ये उन लोगों को पीछे कर दिया जो नौकरी के हक़दार हैं | आरक्षण ने मेहनत को ख़त्म कर दिया और जो लोग मेहनत कर के किसी भी परीक्षा को पास करते हैं, General Category होने के कारण उनका selection नहीं होता , वही दूसरी और SC और ST कम मेहनत में भी अच्छी post पा लेते हैं |

SC ST Act जहाँ एक तरफ अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए वरदान साबित हुआ वहीं दूसरी और वह सामान्य वर्ग के गले का फंदा बन गया | कहने का तात्पर्य यह बिलकुल भी नहीं है की यह act गलत है या और कुछ परन्तु यदि यह act खत्म होने से समाज में थोड़ी भी समानता आती है तो इसमें हर्ज़ ही क्या है | यदि सरकार और पुलिस कर्मी अपना काम थुइक प्रकार से करें तो शायद किसी व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्तियों के साथ कोई शोषण कर ही नहीं सकेगा |

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अधिकतर शोषण की खबरे ग्रामीण क्षेत्रो से आती है और इस act के खत्म होने या लागु होने से न कभी ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो को कुछ फायदा हुआ है न होगा क्यूंकि अधिकतर इस कानून से अवगत नहीं है और प्रायः पुलिस कर्मियों या गाँव के मुखिया द्वारा उनकी आवाज़ दबा दी जाती है | इस कानून का शिकार वह व्यक्ति बनते है जो शहरों में रहते है और उन्हें झूठे केस में फंसा दिया जाता है |

तो यदि हम सचमुच अनुसूचित जाति और जनजाति की भलाई चाहते है तो हमे इस कानून से ज्यादा कानूनी कर्मचारियों को सुधरने की ज़रूरत है न की निर्दोषो को जेल की कोठरी में पहुँचाने वाले इस कानून की |


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