श्रीमद्भागवत गीता एक अमूल्य ग्रन्थ है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को कुरूक्षेत्र युद्ध में दिए गए ज्ञान के बारें में बताया गया है |श्रीमद्भागवत गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। श्रीमद्भागवत गीता का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। यह ग्रन्थ महाभारत की घटना को दर्शाता है ।
श्रीमद्भागवत गीता के 5 प्रेरणा देने वाले श्लोक -
1- नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
- इस श्लोक का अर्थ है , भगवन श्रीकृष्ण बताना चाहते है की आत्मा अमर होती है, आत्मा को कभी कोई शास्त्र काट नहीं सकती , अग्नि जला नहीं सकती और पानी भिगो नहीं सकती है |
2- हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय |
- इस श्लोक का अर्थ है की आप युद्ध करो कही भी रुको मत अगर आप युद्ध में जीत जाते हो तो आपको स्वर्ग की प्राप्ति होगी , यदि नहीं तो आप धरती का सुख भोगोगे | तात्पर्य कुछ करो रुको मत |
3- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि |
- इस श्लोक के जरिये भगवान श्रीकृष्ण यह बताना चाहते है की जीवन में कोई भी काम यह सोच कर नहीं करना चाहिए की इसका परिणाम क्या होगा, हमे सिर्फ अपना काम श्रद्धा से करना चाहिए बिना फल की इच्छा किये हुए |
4- क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति |
- इस श्लोक का अर्थ है मनुष्य के जीवन में गुस्सा उसके विनाश का कारण बनता है, जिससे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और मनुष्य खुद का नाश कर बैठता है |
5- श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति |
- इस श्लोक का अर्थ है की अगर कोई व्यक्ति अपनी इन्द्रियों पर संयम रखता है और आवश्कताओं को सीमित रखता है, वह इस धरती पर सफलता जरूर प्राप्त करता है |