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| Posted on July 3, 2020 | others

कुछ ऐसे सवाल जो हिन्दुओ को सोचना चाहिए की क्या गलत है क्या सही है ?

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@shwetarajput8324 | Posted on July 5, 2020



1 .क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि है वो किसी की मनोकामनापूरी कर सकती है?

2. सभी कब्र उन मुसलमानों की है जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं है जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे?

3. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा 33 कोटि देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें है जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक है?

4. जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?

5. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता है तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते है?

6. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता है?

7.. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रहीं है जिसका वर्णन पहले से ही हमारे वेदों- उपनिषदों आदि में नहीं है?

8. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ को अँधेरे में रखना नहीं तो ओर क्या है?

9. इतिहास की पुस्तकों कें गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी ऐसी मानसिकता को बना कर उनमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान की भावना को कम करने के समान नहीं है?

10. क्या हिन्दू फिर एक बार 24 हिन्दू राजाओ की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आये संकट जैसे की आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन ,नक्सलवाद,लव जिहाद, बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते?

आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा। अगर आप आर्य राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में प्रकाशित करे.

Jai hind ?? jai shri ram ??



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@thakurkisan2506 | Posted on July 31, 2021

5000 साल पुराना है धर्म
हिंदू धर्म आधुनिक समय में जीवित रहने के लिए कुछ प्राचीन धर्मों में से एक है। आधुनिक हिंदू धर्म की रचना करने वाली परंपराओं का संग्रह कम से कम पिछले 5000 वर्षों में विकसित हुआ है, जो सिंधु घाटी क्षेत्र (आधुनिक भारत और पाकिस्तान के देशों में) से शुरू हुआ है, जो प्राचीन दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता थी। हिंदू धर्म का कोई 'संस्थापक' नहीं है, न ही एक नबी या प्रारंभिक शिक्षक है। हिंदुओं का मानना है कि उनके धर्म की कोई पहचान योग्य शुरुआत या अंत नहीं है और इसलिए, अक्सर इसे सनातन धर्म ('अनन्त मार्ग') के रूप में संदर्भित किया जाता है। नाम के लिए, 'हिंदू' पहली बार फारसियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जो 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में सिंधु नदी से परे रहने वाले लोगों का वर्णन करने के लिए है। प्रारंभ में इसका कोई विशिष्ट धार्मिक अर्थ नहीं था। शब्द का धार्मिक अर्थ लगभग 1000 वर्षों तक विकसित नहीं हुआ।


वेद हिंदू धर्म के कई प्राथमिक धार्मिक ग्रंथों में से एक हैं
हिंदू धर्म में एक भी पवित्र ग्रंथ नहीं है जो धार्मिक अभ्यास का मार्गदर्शन करता है। इसके बजाय, हिंदू धर्म में आध्यात्मिक ग्रंथों का एक बड़ा हिस्सा है जो भक्तों का मार्गदर्शन करता है। इनमें से सबसे पहले वेद (संस्कृत में "ज्ञान") हैं, जो प्रमुख हिंदू शिक्षाओं को प्रस्तुत करने वाली प्रकृति की दिव्य शक्तियों पर भजनों का एक संग्रह है। वेदों को साकार (प्रकट) शाश्वत सत्य माना जाता है, लिखित होने से पहले हजारों वर्षों तक मौखिक परंपरा के माध्यम से पारित किए गए थे। उपनिषदों में हिंदू दर्शन का और अधिक विकास हुआ। इस दर्शन को पुराणों, रामायण, और महाभारत (दुनिया की सबसे लंबी महाकाव्य कविता), साथ ही भगवद गीता में पुन: स्थापित किया गया था। अनगिनत जीवन कथाओं, भक्ति कविताओं और ऋषियों और विद्वानों की टिप्पणियों ने भी हिंदुओं की आध्यात्मिक समझ और अभ्यास में योगदान दिया है।

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