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विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है। यह 182 मीटर (597 फीट) ऊँची है, जो चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध (153 मीटर) से लगभग 29 मीटर अधिक है। इसकी ऊँचाई न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग चार गुना अधिक है।
सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि:
यह प्रतिमा भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। उन्हें भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत के विभिन्न रियासतों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
स्थान और निर्माण:
यह प्रतिमा गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास स्थित है। इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो द्वारा 33 महीनों में किया गया था और इसे 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर राष्ट्र को समर्पित किया गया था।
डिजाइन और संरचना:
प्रतिमा को प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी. सुतार ने डिजाइन किया है। यह एक कंक्रीट कोर के साथ स्टील का ढांचा है, जिसे 6500 टन से अधिक कांस्य पैनलों से ढका गया है। प्रतिमा का आधार 58 मीटर (190 फीट) ऊँचा है, जिसमें एक प्रदर्शनी हॉल और एक स्मारक उद्यान शामिल है।
पर्यटन आकर्षण:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है। इसमें एक व्यू गैलरी है जो 153 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और जहाँ से आगंतुक नर्मदा नदी और सरदार सरोवर बांध का पैनोरमिक दृश्य देख सकते हैं। प्रतिमा के आधार में एक संग्रहालय और प्रदर्शनी केंद्र है जो सरदार पटेल के जीवन और योगदान को प्रदर्शित करता है।
तकनीकी विशेषताएँ:
प्रतिमा भूकंप और तेज हवाओं का सामना करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह 180 किलोमीटर प्रति घंटे की हवाओं और 6.5 तीव्रता के भूकंप का सामना कर सकती है। इसमें दो त्वरित लिफ्ट हैं जो 150 मीटर की ऊँचाई तक ले जा सकती हैं।
पर्यावरण संरक्षण:
परियोजना के दौरान पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया। निर्माण के दौरान लगभग 3 लाख पौधे लगाए गए और एक पूरा इको-सिस्टम विकसित किया गया।
आर्थिक प्रभाव:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है। इसने रोजगार के अवसर पैदा किए हैं और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा दिया है।
विवाद और आलोचना:
प्रतिमा के निर्माण को लेकर कुछ विवाद भी रहे हैं। कुछ लोगों ने इसकी लागत पर सवाल उठाए, जबकि अन्य ने स्थानीय जनजातियों के विस्थापन की चिंता जताई।
रात्रि प्रकाश व्यवस्था:
प्रतिमा में एक विशेष प्रकाश व्यवस्था है जो इसे रात में आकर्षक बनाती है। यह प्रकाश व्यवस्था ऊर्जा-कुशल LED लाइटों से की गई है।
टिकट और पहुँच:
आगंतुकों के लिए टिकट की व्यवस्था है। वहाँ तक पहुँचने के लिए बस और फेरी सेवाएँ उपलब्ध हैं। प्रतिमा तक पहुँचने के लिए एक 3.5 किलोमीटर लंबा पुल भी बनाया गया है।
स्मारक के अन्य भाग:
प्रतिमा परिसर में एक वॉल ऑफ यूनिटी है जो भारत के विभिन्न राज्यों की मिट्टी और जल से बनाई गई है। यहाँ एक वैली ऑफ फ्लावर्स भी है जो विभिन्न प्रकार के फूलों से सजी है।
तकनीकी चुनौतियाँ:
प्रतिमा के निर्माण में कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसमें प्रतिमा के चेहरे को सही आकार देना और उसे सरदार पटेल के चेहरे से मिलता-जुलता बनाना शामिल था।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
प्रतिमा के निर्माण में कई देशों का सहयोग लिया गया। कांस्य पैनल चीन से आयात किए गए, जबकि 3D स्कैनिंग और मॉडलिंग में ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों ने मदद की।
सांस्कृतिक महत्व:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। यह भारत की विविधता में एकता के संदेश को प्रतिबिंबित करता है।
शैक्षिक मूल्य:
प्रतिमा परिसर में एक शैक्षिक केंद्र है जो विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सरदार पटेल के जीवन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
डिजिटल तकनीक:
आगंतुकों के लिए एक मोबाइल ऐप उपलब्ध है जो प्रतिमा और उसके आसपास के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान करता है। वहाँ वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी अनुभव भी उपलब्ध हैं।
सामाजिक प्रभाव:
प्रतिमा ने स्थानीय समुदायों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार लाया है।
अंतरराष्ट्रीय पहचान:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है। यह दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है और भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित कर रहा है।
भविष्य की योजनाएँ:
भविष्य में प्रतिमा परिसर में और अधिक सुविधाओं को जोड़ने की योजना है। इनमें एक इको-टूरिज्म पार्क, एक रिसर्च सेंटर और एक उच्च-तकनीक वाला मनोरंजन क्षेत्र शामिल है।
इस प्रकार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी न केवल एक विशाल प्रतिमा है, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमता, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। यह एक ऐसा स्मारक है जो भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को एक साथ जोड़ता है।
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