म्युचुअल फंड से कई तरह के मिथ जुड़े हैं, निवेशकों की एक बड़ी संख्या के द्वारा जमा पैसा एक म्यूचुअल फंड का निर्माण करता है जिसे एक फण्ड में डाल दिया जाता है। फण्ड मेनेजर इस पैसे को वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है। म्यूचुअल फंड कई तरह से निवेश करता है जिससे उसका रिस्क और रिटर्न निर्धारित होता है। जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट कहते हैं।
उदाहरण:- कुछ दोस्त मिल कर एक जमीन का टुकडा खरीदना चाहते हैं। सौ वर्ग गज के जमीन के टुकडे की कीमत एक लाख रुपये है। अब यदि इस फंड को दस रु कि युनिट्स में बांटेंगे तो 10,000 यूनिट बनेंगे। निवेशक जितने चाहे उतने यूनिट अपनी निवेश क्षमता के अनुसार खरीद सकते हैं। यदि आपके पास केवल एक हज़ार रुपये निवेश के लिए हैं तो आप सौ यूनिट खरीद सकते हैं। उसी अनुपात में आप भी उस निवेश (जमीन के) मालिक हो गए।
एक निवेशक के रूप में आप द्वारा निवेश की गई राशि पर आधारित है कि आप कितनी यूनिट्स के मालिक हैं। इसलिए, एक निवेशक भी एक यूनिट धारक के रूप में जाना जा सकता है। इसमें से अर्जित अन्य आय के साथ-साथ निवेश के मूल्य में वृद्धि को लागू व्यय, भार और करों को घटाने के बाद यूनिटों की संख्या के साथ अनुपात में निवेशकों/यूनिट धारकों को बांट दिया जाता है। म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है की एक निवेशक जिसे बाज़ार की अधिक जानकारी नहीं है वह अपना निवेश विशेषज्ञों के हाथ में छोड़ देता है। कहाँ, कैसे और कब निवेश करना है यह विशेषज्ञों निर्धारित करते हैं। म्यूचुअल फंड कई तरीके से निवेश करते है। सबसे प्रमुख बांड तथा शेयर मार्केट्स हैं। इसके अलावा गोल्ड अथवा अन्य किसी माल (कमोडिटीज) में निवेश कर सकते है। फंड्स के कई प्रकार होते हैं जिन्हें उनके निवेश के अनुसार जाना जाता है। मुख्य हैं डेट, इक्विटी और बैलेंस्ड फण्ड. सबसे अधिक विविधिता इक्विटी फंड्स में पायी जाती हैं।