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जलिया वाला बाग़ हत्या कांड के बारें में क...

| Updated on April 13, 2019 | others

जलिया वाला बाग़ हत्या कांड के बारें में कुछ अनसुने तथ्य क्या हैं ?

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K

@kanchansharma3716 | Posted on April 13, 2019

13 अप्रैल 1919 एक ऐसा दिन था जब मानवता तार-तार हो गई थी । इस दिन ने कई सारी साँसों को एक साथ रोक दिया। ये दिन जलियावाला बाग़ हत्या कांड के लिए जाना जाता है । इस दिन हुए हत्याकांड में कई मासूमों ने अपनी जान गवा दी , कई माँ की कोख उजड़ गई, कई बच्चे अनाथ हो गए , कई सुहागन विधवा हो गई और कई बहनों की राखियां बस उनके भाइयों के इंतज़ार में रह गई।


Article image (Courtesy : Times Now )


पंजाब में स्थित स्वर्ण मंदिर के पास जलिया वाला बाग़ में 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजों द्वारा बनाये गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ एक सभा बुलाई गई । रॉलेट एक्ट को काला कानून नाम से सम्बोधित किया गया, जिसके विरोध का नतीजा लोगों को अपनी जान गवा कर देना पड़ा । रॉलेट एक्ट के खिलाफ किये गए सत्य ग्रह आंदोलन के तहत 12 अप्रैल को ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर के दो नेताओं चौधरी बुगा मल और महाशा रतन चंद को गिरफ्तार किया गया था जिनके लिए ही यह सभा बुलाई गई थी ।

Article image (Courtesy : YouTube )

जनरल डायर ने जलिया वाला बाग़ के मुख्य द्वार पर अपनी सेना तैनात कर दी और अपने सैनिकों शूट करने का आदेश दे दिया । 10 मिनिट तक लगातार गोलियां चलती रहीं । गोलियों से बचने के लिए कुछ लोगों ने कुएं में छलांग लगाई । वो कुआं आज भी शहीदी कुआं कहलाता है ।

जनरल डायर के इस नरसंहार के फैसले का विरोध किया गया , परन्तु उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई । अपनी नौकरी पूरी करने के बाद जनरल डायर अपना जीवन लदंन में बिता रहे थे, परन्तु जलिया वाला बाग़ नरसंहार की ज्वाला अभी तक भारतवासियों के मन में जल रही है। 13 मार्च 1940 जनरल डायर का आखरी दिन था ।

Article image (Courtesy : Times Now Hindi )

जलिया वाला हत्याकांड का बदला लेते हुए उधम सिंह ने केक्सटन हॉल में उन्हें गोली मार दी । इस सम्मलेन में आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या 379 बताई गयी, जबकि पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुसार लगभग 1300 लोग मारे गए थे।
आज भी यहां पर उन गोलियों के निशान हैं जो उस वक़्त चलाई गई थी । जलिया वाला बाग़ में शहीद स्मारक बनाया गया जिसको “अग्नि की लौ” नाम दिया गया ।13 अप्रैल 2019 को जलिया वाला बाग़ हत्याकांड को 100 साल पूरे हो गए , पर आज भी इस घटना का दर्द लोग भूलते नहीं है ।

Article image (Courtesy : tripadvisor )


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S

@satyendrapratap4130 | Posted on April 19, 2019

जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुआ था। उस समय लोग जलियांवाला बाग मैं अंग्रेजी हुकूमत द्वारा पास की गई रोलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से बैठे हुए थे तो वहीं एक अंग्रेजी अफसर ने वहां पर उनके ऊपर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी जिससे अधिकारिक रिकॉर्ड के हिसाब से 379 लोग मारे गए थे पर वही मदन मोहन मालवीय जी के अनुसार 1300 लोगों मरने की सूचना है।इससे संपूर्ण भारतवर्ष में एक नई क्रांति ने जन्म लिया और पूरे भारत में जगह-जगह जलियांवाला हत्याकांड का विरोध हुआ लोगों ने सत्याग्रह शुरू किया जगह-जगह रैलियां , शांतिपूर्ण ढंग से सभी जगह विरोध हुआ और इसी के साथ हमारे रविंद्र नाथ टैगोर जीने अंग्रेजी हुकूमत द्वारा दिया गया अपना नाइटहुड का टाइटल भी लौटा दिया। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा इस मामले में हंटर कमीशन को जांच के लिए विठाला पर वह गांधी जी के शब्दों के अनुसार केवल कागजों में ही सीमित थी उसकी कोई गतिविधि ना हुई ना ही दोषी अफसर जनरल ओ डायर के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई बल्कि उसे इंग्लैंड में सम्मान से नवाजा ।
Smiley face
इसी हत्याकांड से लोगोो के दिल में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक ज्वाला धधक गई । जिसकेे बाद गांधी जीी ने असहयोग आंदोलन को शुरू कियाााा और जगह जगह पर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार हुआ और खादीी वस्त्रों कोोो अपनाया ग।या
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