कुछ ऐसी बीमारी होती है,कई सालों तक रहती है और उसके बाद जब व्यक्ति मर जाता है तब पता चलता है कि मर चुका है और बीमारी का बाद में पता चलता है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद... आज बात करेंगे उन बीमारियों की जो शरीर को अंदर से खोखला बना देती है. यह बीमारी इतनी घातक है कि कई सालों तक तो पता ही नहीं चलता है और धीरे-धीरे आपको काल के गाल में समा कर ही दम लेती हैं आइए जानते हैं बीमारियों के बारे में..
एड्स
एच.आई.वी एक अतिसूक्षम रोग विषाणु हैं जिसकी वजह से एड्स हो सकता है.एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है.यह मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं.प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी, क्षय रोग, कर्क रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं.
यही कारण है की एड्स परीक्षण महत्वपूर्ण है. सिर्फ एड्स परीक्षण से ही निश्चित रूप से संक्रमण का पता लगाया जा सकता है.एड्स एक तरह का संक्रामक यानी की एक से दुसरे को और दुसरे से तीसरे को होने वाली एक गंभीर बीमारी है. एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह एक तरह के विषाणु जिसका नाम HIV से फैलती है. अगर किसीको HIV है तो ये जरुरी नहीं की उसको एड्स भी है. HIV वायरस की वजह से एड्स होता है अगर समय रहते वायरस का इलाज़ कर दिया गया तो एड्स होने का खतरा कम हो जाता है.‘यूएन एड्स’2019 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल दुनियाभर में करीब 3.79 करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित हैं.इनमें से 2.33 करोड़ लोगों को ही ‘एंटी रेट्रोवाइरल’ थेरेपी मिल पा रही है.यूएन एड्स’ संस्था के मुताबिक एचआईवी के कारण होने वाली मौतों की संख्या घटकर पिछले साल 7,70,000 हो गई, जो साल 2010 के मुकाबले तकरीबन 33 फीसदी घटी है 2018 में 95 फीसदी नए मामलों का कारण ड्रग इंजेक्शन, समलैंगिक पुरुष, ट्रांसजेंडर, सेक्स वर्कर और कैदियों को बताया गया है।
माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला.अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं.अब तक इससे लगभग 3० करोड़ लोग जान गंवा बैठे हैं.
टी.बी
टी.बी. का पूरा नाम है ट्यूबरकुल बेसिलाइ. यह एक छूत का रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है.यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा.दुनिया में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है। देश में हर तीन मनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में भारत में 27.9 लाख मरीजों के साथ टीबी से प्रभावित सूची में नंबर एक पर है. 2016 में करीब 4.23 लाख मरीजों की मौत हुई है.2025 तक भारत टीबी मुक्त होने की महात्वाकांक्षी योजना है लेकिन इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति चिंताजनक है.दुनिया भर में सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत में है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान में दर्ज किए गए हैं.
टी.बी. रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियाँ, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि.
मधुमेह या डायबिटीज
मधुमेह पूरे शरीर को प्रभावित करती है. साथ ही कोलेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को भी निमंत्रण देती है.यह बीमारी प्राय: बड़ों मे देखने को मिलती थी, लेकिन आज कल बच्चें भी इस बीमारी के शिकार होते नजर है. मधुमेह का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है. इसे रोकनें के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनो को नार्मल रखना चाहिए.मधुमेह से हार्ट अटैक, स्टोक्स, लकवा, इन्फेक्सन व किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है. 2016 की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में कुल 6.91 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं जो कि दुनिया में चीन के बाद दूसरा नंबर है.चीन में कुल 10.9 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं.
कैंसरकैंसर
भारतीय मेडिकल काउंसिल का अनुमान है कि 2020 में कैंसर से प्रभावित लोगों की संख्या में 25 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा.उस समय 1.7 लाख लोग कैंसर से प्रभावित होंगे. और 8,80,00 कैंसर से मारे जाएंगे.दुनिया में 1.4 करोड़ कैंसर से जुड़े मामले हर साल आ रहे हैं और 2030 तक ये संख्या बढ़कर 2.17 करोड़ तक पहुंच जाने की आशंका हैUN के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 8.8 मिलियन लोग कैंसर से मरते हैं.कैंसर होने का मुख्य कारण तंबाकू, शराब, जंक फूड, शारीरिक गतिविधियों में कमी, दूषित पर्यावरण, कैंसर से जुड़े संक्रमण हैं.कैंसर रोगियों को रेडियोथैरेपी की जरूरत होती है लेकिन देश में 90 फीसदी लोग आर्थिक तंगी के कारण ये नहीं करा पाते हैं. कैंसर के पांच प्रकार फेफड़ा, ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, पेट और प्रोस्टेट..
