भारतीय शादियों में क्या रस्में हैं - letsdiskuss
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भारतीय शादियों में क्या रस्में हैं


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भारतीय शादीयों मे शादी से पहले तिलक की रस्म जरूर की जाती है,यह शादी की सबसे पहली और जरूरी रस्म होती है, जो कि शादी से कुछ दिन पहले हो जाती है,तिलक की रस्म में दुल्हन के पिता या दूल्हे के माथे पर तिलक लगाते है और उसे भेंट में पैसे, नए वस्त्र, फल,मेवे और मिठाइयां दी जाती है। तिलक की रस्म होने के बाद शादी की अन्य तैयारियां शुरू की जाती है,लड़की के इधर लडके वाले आकर ओली डालने की रस्म पूरी करते है।

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भारतीय शादी में सबसे महत्वपूर्ण रस्मों में से एक सप्तपदी है, जो दूल्हा और दुल्हन द्वारा एक साथ उठाए गए सात कदम हैं। यह एक दूसरे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अन्य रस्मों में कन्यादान शामिल है, जिसमें दुल्हन का पिता उसे दूल्हे को विदा करता है, और हल्दी समारोह, जिसमें दूल्हा और दुल्हन दोनों को हल्दी के लेप से ढका जाता है।

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दोस्तों आप सभी को पता ही है कि हिंदू धर्म में शादी की रस्मो का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में कभी भी जब शादी होती है वह पूरे रीति रिवाजों के साथ ही होती है। शादी होने से पहले तिलक की रस्म होती है जिसमें दुल्हन के पिता या भाई के द्वारा दूल्हे का तिलक किया जाता है। और दूल्हे को भेंट के रूप में पैसे और नय वस्त्र भी दिए जाते हैं फिर उसके बाद शादी का मुहूर्त बनता है। हर एक लड़की का सपना होता है कि उसके शादी में होने वाली सारी रस्मे को भी अच्छे से इंजॉय करें। शादी से पहलेमेहंदी, हल्दी और संगीत की रस्म होती है। मेहंदी के रस्म में दुल्हन को मेहंदी लगाई जाती है और इतना ही नहीं परिवार की सारी औरतें भी मेहंदी लगवाती हैं। हल्दी की रस्म में दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। और हल्दी के रस में सब लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। संगीत की रस्म में गाना बजाना होता है। परिवार की औरतें मिलकर डांस करती है। यहां तक की दुल्हन भी अपने संगीत में डांस करती है। शादी दो लोगों का रिश्ता नहीं है अपितु दो परिवारों का मेल होता है।

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भारती शादी में बहुत सीरियस रसमे में होती है,

भारतीय विवाह समारोहों में सगाई, तिलक, संगीत, हल्दी, मेहंदी, शादी और रिसेप्शन जैसे कुछ सामान्य विवाह समारोह शामिल हैं।

सनातन धर्म में सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह कोई शारीरिक या सामाजिक अनुबन्ध मात्र नहीं हैं, यहाँ दाम्पत्य को एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना का भी रूप दिया गया है। इसलिए कहा गया है 'धन्यो गृहस्थाश्रमः'। सद्गृहस्थ ही समाज को अनुकूल व्यवस्था एवं विकास में सहायक होने के साथ श्रेष्ठ नई पीढ़ी बनाने का भी कार्य करते हैं। वहीं अपने संसाधनों से ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ एवं सन्यास आश्रमों के साधकों को वांछित सहयोग देते रहते हैं। ऐसे सद्गृहस्थ बनाने के लिए विवाह को रूढ़ियों-कुरीतियों से मुक्त कराकर श्रेष्ठ संस्कार के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करना आवश्यक है।Letsdiskuss


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भारतीय शादियों मे बहुत सी रस्मे होती है, जैसे कि तिलक, मेंहदी, संगीत और हल्दी की भी रस्म होती है।
शादी के कुछ दिन पहले तिलक की रस्म होती है, तिलक की रस्म मे दुल्हन का भाई, दूल्हे के माथे मे टीका लगाकर पान खिलाता है और फिर दूल्हे को मिठाई, कपड़े और ड्राई फ्रूट्स भेंट मे देता है।

इसके बाद शादी के 2-3 दिन पहले मेंहदी की रस्म होती है, जिसमे दुल्हन के हाथ मे दूल्हे का नाम मेंहदी से लिखते है और परिवार के सभी सदस्य मेंहदी सेरेमनी मे खूब एन्जॉय करते है इस तरह से मेंहदी की रस्म खत्म होती है।

शादी के कुछ दिन पहले संगीत की रस्म की जाती है, जिसमे परिवार वाले, दुल्हन के दोस्त और रिश्तेदार सभी लोग डीजे मे खूब डांस करते है।और दूल्हे को भीउसके परिवार वाले, मेहमान हल्दी लगाते है, जिससे दूल्हे का चेहरा निखर जाता है।Letsdiskuss


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