ब्रम्हचर्य के नियम जानने से पहले ब्रम्हचर्य क्या है यह जानना बहुत जरूरी है।
इस लेख के माध्यम से हम आपको ब्रम्हचर्य क्या है और उसके क्या नियम है यह बतायेंगे। आइये जानते है -
ब्रम्हचर्य क्या है -
ब्रम्हचर्य मतलब ब्रम्ह के पथ पर चलना।
जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों और मन पर संयम करके अपनी शारिरिक शक्तियों पर नियंत्रण करके ईश्वर की भक्ति एवं उपासना में लीन हो जाता हैं। ब्रम्हचर्य कहलाता है।
कहते है मन ही बंधन और मोक्ष का कारण होता है अत: अपने मन को नियंत्रित करके ब्रम्हचर मे लगाना ही असली ब्रम्हचर्य है।
ब्रम्हचर्य के फायदे -
- ब्रम्हचर्य से आपके चेहरे पर क्रोध, लालच और काम जैसे भावनाएं नही रहती अपितु आप के मुख पर सभी के लिए प्यार और स्नेह और आदर का भाव दिखाई देता है।
- आपके नेत्रो में एक आलोकिक तेज दिखाई देने लगता हैं।
- आपको सांसारिक किसी भी चीज या वस्तु का कोई मोह नही रहता आप सदैव प्रसन्न रहते है।
- आप किसी भी कामवासना या हवस जैसी आदतो से कोसो दूर हो जाते है और अपनी इंद्रियों को अच्छी नैतिक शिक्षाओं की और अग्रसर करते है।
ब्रम्हचर्य के नियम -
- ब्रम्हचर्य का पहला नियम अपने तन से ज्यादा अपने मन पर नियंत्रण रखना होता है।
- प्रात: काल जल्दी उठना चाहिए। सूर्योदय से पहले।
- नित्यकर्मो से निर्वत्र होकर स्नान आदि करके एक एकांत स्थान पर बैठ कर भगवान का ध्यान पाठ करे।
- बुरी बाते ना कहे और ना सुने।
- बुरी आदते जैसे गुटका, तंबाकू, मदिरा, चरस, गांजा नशीले पदार्थो से दूर रहे।
- खादी, सूती या ऊनी वस्त्र पहने क्योकि कपड़ो का सीधा प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर पड़ता है और हमारे मन पर भी।
- सात्विक भोजन ही करे ज्यादा तेल मसाले, चटनी माँस, अंडा, मछली जैसे भोजन को अपने से दूर रखे।
- सोने के 2 घंटे पहले ही भोजन कर ले।
- अपने दिमाग में भगवान के नाम का जाप करते रहे। खाली दिमाग में बुरी आदते या बुरे विचार आना संभव होता है।