क्रिकेट पूरे भारत के लिए ऐसा खेल है जिसमें हार जीत तो एक तरह लेकिन लोगों के जज़्बात जुड़ें होते है | यही वजह है की क्रिकेट को भारत में किसी पूजा से कम नहीं समझा जाता है और क्रिकेट प्लेयर्स किसी भगवान से कम नहीं ऐसे में आज हम बंगाल के टाइगर सौरभ गांगुली के जन्म दिन पर आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताएँगे जो सबको नहीं पता है |
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- आपको बता दें भारतीय क्रिकेट टीम को देखने का नजरियां बदलने का सारा श्रेय सौरभ गांगुली को ही दिया जाता है क्योंकि लंबे समय तक भारत को क्रिकेट जगत में 'घर के शेर और बाहर मेमना' कहा जाता था। इसकी वजह थी विदेशों में भारतीय क्रिकेट टीम की असफलता और भारतीय उप महाद्वीप में सफलता, लेकिन जिस शख्स ने भारतीय क्रिकेट के इस चेहरे को बदला वह कोई और नहीं बल्कि सौरव गांगुली थे।
- सौरव गांगुली के नेतृत्व में ही टीम इंडिया ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में मैच जीतने शुरू किए और भारत में क्रिकेट का जो साहसी ब्रांड दिखाई पड़ता है- उसका श्रेय गांगुली को ही दिया गया |
- आपको बता दें के सौरव गांगुली के फैंस उन्हें प्यार से दादा बुलाते है और उनके फैंस ने उन्हें 'गॉड ऑफ ऑफसाइड', 'प्रिंस ऑफ कोलकाता', 'बंगाल टाइगर' और 'दादा' जैसे नाम दिए थे। आपको बता दें कि
- सौरभ गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 में कोलकाता में हुआ और सौरव गांगुली को बायें हाथ का बेस्ट भारतीय बल्लेबाज कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि पहले गांगुली दाएं हाथ से अपने सारे काम किया करते थे, लेकिन उनके भाई स्नेहाशीष बायें हाथ से सब काम करते थे। जब गांगुली अपने भाई के साथ क्रिकेट खेलते तो उन्हें दिक्कत होती और वह भी बाएं हाथ से खेलने लगे।
- आपको जान कर हैरानी होगी की सौरव गांगुली का पहला प्यार फुटबॉल है, और उन्हें उनके भाई ने क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया, और एक समय ऐसा आया कि सौरव ने बंगाल रणजी ट्रॉफी टीम के लिए अपने भाई स्नेहाशीष की जगह ली।
- सौरव गांगुली को 1992 में अपने डेब्यू के समय से ही आक्रामक माना जाता था। अपने एटीट्यूट प्रॉब्लम की वजह से ब्रिसबेन में उन्हें ड्रॉप किया गया। बाद में उन्हें टेस्ट सीरीज के लिए 1996 में चुना गया। उन्होंने लॉर्डस में शतक के साथ डेब्यू किया। किसी भी भारतीय द्वारा यहां बनाया गया अधिकतम स्कोर था।
- सौरव गांगुली अपने प्रेरणास्रोत में डेविड गावर, डेविड बून, मोहिंदर अमरनाथ, कपिल देव और एलेन बॉर्डर का नाम लेते हैं। उनके पसंदीदा कोच हैं- बीडी देसाई, वीएस पाटिल और हेमू अधिकारी।
- यहाँ तक की टीम इंडिया ने दादा की अगुवाई में 49 टेस्ट मैच खेले, इनमें से 21 में जीत दर्ज की और 13 में हार का सामना करना पड़ा, जबकि 15 मैच ड्रॉ रहे। वहीं दूसरी ओर दादा की कप्तानी में 1999 से 2005 के बीच भारत ने 146 वनडे मैचों में 76 जीते और 65 गंवाए, जबकि 5 मैचों के नतीजे नहीं आए।
- टीम इंडिया को 20 से ज्यादा टेस्ट मैचों में जीत दिलाने वाले सौरव गांगुली पहले कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार 21 टेस्ट जीते। इससे पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत ने 14 टेस्ट मैच जीते थे। दादा का यह रिकॉर्ड टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने तोड़ा। धोनी की कप्तानी में टीम ने 27 टेस्ट मैच जीते।
- सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर के नाम वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रनों की साझेदारी करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। इन दोनों ने 176 वनडे पारियों में 8227 रनों की साझेदारी की है।