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ड्राइवर के आविष्कार से पहले अमेरिकी बिल्डरों ने विभिन्न प्रकार के औजार और तकनीकों का उपयोग किया था, जो उनकी आवश्यकताओं और उपलब्ध सामग्रियों पर निर्भर थे। अमेरिकी निर्माण उद्योग का विकास समय के साथ हुआ, और इसमें लकड़ी, धातु, पत्थर, और अन्य सामग्रियों को जोड़ने और आकार देने के लिए विभिन्न उपकरण शामिल थे।
अमेरिकी निर्माण उद्योग के शुरुआती दिनों में, विशेष रूप से औपनिवेशिक काल (17वीं और 18वीं शताब्दी) में, निर्माण के लिए मुख्य रूप से हाथ से संचालित उपकरणों का उपयोग किया जाता था। इनमें शामिल थे:
हथौड़ा (Hammer): लकड़ी और धातु को आकार देने तथा कील ठोंकने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
छेनी (Chisel): पत्थर और लकड़ी को काटने और आकार देने के लिए।
आरी (Saw): लकड़ी और पत्थर को काटने के लिए।
हाथ ड्रिल (Brace & Bit): लकड़ी में छेद करने के लिए।
क्लैंप (Clamp): लकड़ी और अन्य सामग्रियों को अस्थायी रूप से पकड़ने के लिए।
प्लेन (Plane): लकड़ी की सतह को चिकना करने के लिए।
ये उपकरण कारीगरों द्वारा संचालित किए जाते थे और इनका उपयोग बहुत धैर्य और कौशल के साथ किया जाता था।
18वीं और 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के दौरान, निर्माण उद्योग में प्रमुख परिवर्तन हुए। मशीनों और नए उपकरणों के आगमन ने कार्य को आसान और अधिक कुशल बना दिया। हालांकि, ड्राइवर (Screwdriver) के व्यापक उपयोग से पहले, बिल्डरों ने निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग किया:
लकड़ी के जोड़ों का उपयोग:
शिकंजे (Screws) के बजाय लकड़ी के जोड़ों और डॉवेल (Dowel) का इस्तेमाल किया जाता था।
टेनन और मॉर्टिस (Tenon & Mortise) जोड़ों का उपयोग किया जाता था, जो लकड़ी के फर्नीचर और संरचनाओं में मजबूत पकड़ प्रदान करते थे।
कीलों का उपयोग:
लोहे की कीलें (Iron Nails) लकड़ी को जोड़ने के लिए आमतौर पर उपयोग की जाती थीं।
हाथ से बनाई गई कीलों को हथौड़े की सहायता से लकड़ी में ठोंका जाता था।
डॉवेल और पेग:
लकड़ी की डॉवेल और पेग का उपयोग शिकंजे के विकल्प के रूप में किया जाता था।
ये जोड़ों को मजबूत बनाने में मदद करते थे।
रश और लीथिंग (Rush & Lathing):
इमारतों की दीवारों को मजबूत बनाने के लिए लकड़ी की पतली पट्टियों (Lath) का उपयोग किया जाता था, जिसे बाद में प्लास्टर से ढक दिया जाता था।
19वीं शताब्दी में औद्योगिक प्रगति के साथ, निर्माण उद्योग में धातु की भूमिका बढ़ गई। हालांकि, शिकंजों (Screws) और उनके साथ ड्राइवर (Screwdriver) के व्यापक उपयोग से पहले, बिल्डरों ने विभिन्न प्रकार के कनेक्शन और उपकरणों का सहारा लिया:
बोल्ट और नट (Bolts & Nuts):
लोहे और स्टील से बने बोल्ट और नट बड़े औद्योगिक और संरचनात्मक परियोजनाओं में उपयोग किए जाते थे।
इनकी कसावट के लिए हाथ से घुमाने वाले औजार (Wrench) का उपयोग किया जाता था।
रिवेट (Rivet):
धातु की संरचनाओं में, खासतौर पर पुलों और इमारतों में, रिवेटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था।
यह कनेक्शन को मजबूत करने के लिए गर्म किए गए धातु के टुकड़ों को जोड़ने की प्रक्रिया थी।
हथौड़ा और कील के उपयोग में सुधार:
औद्योगिक मशीनों के कारण कील बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई।
स्टील और लोहे की कीलों ने लकड़ी के फर्नीचर और निर्माण कार्यों में मजबूती प्रदान की।
19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में शिकंजों का व्यापक उत्पादन शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ड्राइवर (Screwdriver) का प्रचलन बढ़ा। शिकंजों की शक्ति और स्थायित्व ने बिल्डरों को अधिक मजबूत और टिकाऊ संरचनाएं बनाने की अनुमति दी।
आधुनिक निर्माण उद्योग में, ड्राइवर के अलावा कई अन्य उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है, जैसे कि:
बिजली चालित ड्रिल
पावर स्क्रूड्राइवर
हाइड्रोलिक प्रेस
लेजर और कंप्यूटर आधारित मापन उपकरण
ड्राइवर के आविष्कार से पहले अमेरिकी बिल्डरों ने लकड़ी, धातु, और पत्थर को जोड़ने के लिए विभिन्न तकनीकों और औजारों का इस्तेमाल किया। शिकंजे के आम उपयोग से पहले कीलों, लकड़ी के जोड़ों, डॉवेल, पेग, बोल्ट, और नट का उपयोग किया जाता था। औद्योगिक क्रांति ने निर्माण तकनीकों को बदल दिया और नए औजारों की दिशा में अग्रसर किया।
आज, आधुनिक तकनीक के उपयोग ने निर्माण उद्योग को बहुत अधिक उन्नत बना दिया है, लेकिन शुरुआती औजारों और तकनीकों की विरासत अब भी कई स्थानों पर देखी जा सकती है।
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