मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी मजदूर वर्ग की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में कोई भी ऐसा नहीं है जिसे कठिनाई न हुई हो, लेकिन इस संकट की सबसे बड़ी चोट मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है. उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा शब्दों में नहीं कही जा सकती है.हम में से कौन होगा जो उनके और उनके परिवारों की पीड़ा का अनुभव न कर सका हो. हम सब मिल कर इस तकलीफ और पीड़ा को बांटने का प्रयास कर रहे हैं.....
भारत वासियों के जज्बे को मोदी ने सराहा
देश में सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई मजबूती से लड़ी जा रही है.जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं तो हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है.हमारी जनसंख्या ज्यादातर देशों से कई गुना है.हमारे देश में चुनौतियां भी अलग-अलग हैं। फिर भी कोरोना हमारे देश में उतना तेजी से नहीं फैला, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला.
मन की बात में प्रधानमंत्री प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर बात कर रहे हैं हालांकि वह बातें सिर्फ अपने मन में ही करते हैं अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को सुलझा नहीं चाहते थे तो उनके लिए उचित प्रबंध करते ना कि अपने मन में जगाह देते. बस दो-चार बातें मंकी बता दी यानी कि प्रधानमंत्री के मन की बातों से ही मजदूरों का मनजीत लेंगे ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता क्योंकि मजदूर भी अब सरकार की नाकामियों को समझ चुके हैं जो दुख उन्होंने झेला शायद उन्होंने पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा होगा.
