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हम आपको बताने जा रहे हैं कि रानी संयोगिता की मिट्टी कैसी
इतिहास के पन्नों में बहुत ही प्रेम कहानियां है जो अमर हो गई। महान राजा पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है। अजमेर के महाराजा पृथ्वीराज चौहान को कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता से प्रेम हो गया था। लेकिन राजा जयचंद इस प्रेम के खिलाफ था।
राजा जयचंद इस अपमान का बदला लेने के लिए और सम्राट पृथ्वीराज चौहान को चुनौती देने के लिए उसने उस समय भारत के आक्रांता मोहम्मद गौरी का साथ दिया। आप तो बता दें कि पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के युद्ध में मोहम्मद गौरी को 18बार हराया था।
पृथ्वीराज चौहान ने राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता से प्रेम विवाह कर लिया और अपनी महारानी बनाया।
पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के मिलन के बाद भी उनके जीवन की कठिनाइयां दूर नहीं। राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान से कई बार हाराया भी था। पृथ्वीराज चौहान को जयचंद पसंद नहीं करता था और उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी पुत्री से प्रेम विवाह करने के कारण वह पृथ्वी राज चौहान को। अपना दुश्मन भी समझता था। लेकिन हार और अपमान का बदला लेने के लिए राजा जयचंद ने विदेशी आक्रांता मोहम्मद गौरी का साथ दिया और पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ उसे युद्ध के लिए उकसाया।
इस बार मोहम्मद गौरी और शक्तिशाली हो गया था क्योंकि उसका साथ जयचंद की सेना भी दे रही थी। बताया जाता है कि युद्ध हारने के बाद मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंधक बना लिया था। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि पृथ्वीराज चौहान जी मोहम्मद गौरी ने हत्या कर दी थी। लेकिन कहीं-कहीं या चित्र आता है कि पृथ्वीराज चौहान के तीर से मोहम्मद गौरी घायल होकर मारा गया। मोहम्मद गौरी के मौत का राज पाया गया।
रानी संयोगिता ने जौहर प्रथा करके अपना जीवन समाप्त किया
इधर जब पृथ्वीराज चौहान बंधक बन गए तब राजमहल मे यह बात रानी तक पहुंची। तब रानी संयोगिता ने अपने आन मान मर्यादा का पालन करते हुए महल में रहने वाली महिलाओं के साथ जौहर प्रथा किया। खुद को आग के हवाले कर दिया और इस तरह से वे सती हो गई।
और पढ़े- सम्राट पृथ्वीराज चौहान कौन थे और किस से प्रेम करते हैं?
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हम यहां पर आज आपको बताने जा रहे हैं कि पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी संयोगिता का क्या हुआ था। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी संयोगिता ने लाल किले में जौहर करने का निर्णय लिया लेकिन मोहम्मद गोरी का सेनापति कुतुबुद्दीन संयोगिता को अपने हरण में रखना चाहता था इसलिए पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना डेरा किले के बाहर रख लिया था। लेकिन किले के बाहर जमुना नदी का पानी बहता था। जहां पर एक खाई थी लेकिन उस खाई में जिंदा लाशों को डालकर भर दिया गया था। ये सब रानी संयोगिता देखकर बहुत ही दुखी हुई थी और उन्होंने अपनी ननंद के साथ जौहर करने का निर्णय लिया।
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