18 जून के हुए हादसे को दर्दनाक कहा जा सकता है, क्योंकि इस दिन समंदर की गहराई में एक पर्यटक पनडुब्बी टाइटन को उतारा गया| जिसका उद्देश्य इतना था कि यह साल 1912 में हादसे का शिकार हुए टाइटैनिक जहाज का मलबा देख सके| देखिये न किसी दुसरे जहाज का मलवा देखने गए और खुद हादसे का शिकार हो गए| पर्यटक पनडुब्बी टाइटन का मलबा बुधवार (28 जून) को कनाडा के सेंट जॉन्स में बंदरगाह पर होराइजन आर्कटिक जहाज से उतारा गया|
यह हादसा दर्दनाक रहा इसमें कोई दोराह नही है, लेकिन मुझे एक बात बिलकुल भी समझ नहीं आई कि लगभग 111 साल के बाद ऐसा करने की जरूरत क्या आन पड़ी थी| जो टाइटैनिक जहाज का मलवा ढूढना था| जरा इस बात की पुष्टि करे कोई कि ऐसा करना सही था? इतने साल बाद टाइटैनिक जहाज को देखने के लिए क्या जरूरत आ गई| खबरों के अनुसार टाइटैनिक जहाज को देखने के लिए पांच लोगों को ले जा रही पनडुब्बी का मलबा बरामद हुआ है|
इस बात से यह भी निर्धारित हो गया कि इसमें सवार लोग कोई भी नहीं बचे| इस हादसे के बाद टाइटन पनडुब्बी को ऑपरेट करने वाली कंपनी ओशनगेट ने कहा है कि “हमने दुर्भाग्य से पांचों यात्रियों को खो दिया है, जिसमें कंपनी के संस्थापक और सीईओ स्टॉकटन रश भी शामिल थे” इसके अलावा इस पनडुब्बी पर पाकिस्तानी अरबपति शहजादा दाऊद अपने बेटे सुलेमान दाऊद के साथ सवार थे|
5लोगों को ले डूबी पनडुब्बी के कारण काफी ग़मगीन माहोल बना हुआ है| खबर तो कुछ ऐसी भी आई है कि एजेंसियां जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आख़िर इस हादसे की वजह क्या रही होगी| कोस्ट गार्ड मरीन बोर्ड ऑफ इंवेस्टिगेशन आगे की जांच करने के लिए समंदर से मिले सबूतों को अमेरिकी पोर्ट पर ट्रांसफर करेंगे ताकि इस बात की जानकारी मिल सके कि आखरी हादसे का कारण क्या था|
अब एक बात बताएं जिन्हें जाना था वो चले जाये, अब इनकी जांचों से वह वापस तो नहीं आ सकते| लेकिन हाँ ऐसा करने से शायद पनडुब्बी बनाने वाली उस कंपनी का ये दोष कम हो जाये तो उन्होंने इसको बनाने में सही मेटेरियल का इस्तेमाल किया है| एमबीआई के कैप्टन जेसन न्यूबॉर ने एक बयान में कहा, ''टाइटन पनडुब्बी के हादसाग्रस्त होने की वजहों को तलाशने के लिए अभी भी काफ़ी काम किया जाना बाक़ी है. मक़सद ये भी है कि ऐसी रणनीति बनाई जाए कि इस तरह का हादसा फिर ना हो.''
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इनका ऐसा कहना सही भी है, क्योंकि यह अक्सर ऐसे ऐसे experiment करते रहते हैं जिसमें ऐसे हादसे बार बार होना लाज़मी है| लेकिन मेरी तो इतनी गुज़ारिश है कि ऐसे experiment करने से पहले इस बात का खास ध्यान रखें कि धन हानि के साथ साथ जन हानि भी न हो| क्योंकि ऐसा करना न सिर्फ पैसा ख़राब करता है बल्कि ऐसा करने से मानव जीवन को भी समस्या हो जाती है| क्योंकि जब ऐसे हादसे होते हैं तो इनकी जांच होती है और यह काफी लम्बे समय तक चलती रहती हैं|
लेकिन ऐसी जांचों मेरे हिसाब से सही रिजल्ट नहीं आता और कोई भी अपनी गलती नहीं मानता| लेकिन हाँ ऐसे experiment लोगों की जान लेते रहेंगे अगर ये बेवजह के experiment को रोका न गया तो|