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Satindra Chauhan

| पोस्ट किया | शिक्षा


यदि जंग लगी धातु से कटने के बाद एक व्यक्ति को टिटनेस का टीका नहीं लगाया गया तो क्या होगा?


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| पोस्ट किया


Letsdiskuss

चोट छोटी हो या बड़ी दोनों ही चोटे खतरनाक होती हैं। अक्सर डॉक्टर्स और बुजुर्ग चोट लगने पर टिटनेस का टीका लगवाने की सलाह देते हैं। टिटनेस गंभीर और जानलेवा बीमारी है। चोट लगने के 24 घंटे के अन्दर ही टिटनेस का टीका लगवाना जरूरी होता है। क्लॉस्ट्रीडियम टेटेनाइ नामक बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी होती है। किसी भी तरह से चोट लगती है तो यह बैक्टीरिया घावों से होकर शरीर में प्रवेश करती है और शरीर में संक्रमण फैलाकर टॉक्सिन नामक जहर बनाती हैं।
चोट लगने के बाद अगर टिटनेस का टीका नहीं लगवाया गया तो यह बैक्टीरिया ज्यादा मात्रा में विषाक्त पदार्थ बनाने लगती हैं।
जिससे मनुष्य का नर्वस सिस्टम प्रभावित होने लगता है।


इसके आलावा उच्च रक्तचाप,हृदय की गति तेज बुखार और पसीना आदि समस्याएं होने लगती हैं। इतना ही नहीं सांस लेने में भी दिक्कत होती है।
चोट के बाद टिटनेस का टीका न लगवाने पर विशेष रूप से जबड़े और की मांसपेशियां प्रभावित होती है। इसलिए इसे लॉकजा के नाम से भी जानते हैं।
टिटनेस का इंजेक्‍शन ना लगवाया जाए तो दस दिनों में इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। इसकी समय अवधि 3 से 21 दिनों के बीच की होती है।ऐसे में मरीज के शरीर में वोकल कार्ड में खराबी आना, हड्डी टूटना,फेफड़ों में इंफेक्शन होना शुरु होने लगता है।
यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। जिसका कोई इलाज नहीं है इसलिए समय रहते टीका लगवाना आवश्यक होता है। घाव वाली जगह को अच्छे से साफ करने के बाद पास के किसी भी क्लीनिक से टिटनेस एंटी टॉक्सिन शॉर्ट लेना बेहद जरूरी होता है। डॉक्टर घाव को देखकर आंकलन करके तय करता है कि टीकाकरण या अन्य किसी तरह के उपचार की आवश्कता है या नही।
टिटनेस पैदा करने वाले बैक्टीरिया कहीं और नही बल्कि मिट्टी व खाद्य में ही पाए जाते हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 10 साल में टिटनेस का टीका लगवाते रहना चाइए।


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