पेट साफ़ नहीं होता, गैस बनी रहती है, पेट भारी लगता है या फिर दिनभर बेचेनी रहती है ? इन सबका एक ही कारण है - पेट का ठीक से साफ न होना. पेट हमारे शरीर के अहम अंगों में से है. पेट के साफ न होने के कारण हमारे भीतर असंतुलन बना रहता है और हमें कईं विकार घेर लेते हैं. ऐसी स्थिति में लोग तमाम तरह की दवाईयां इस्तेमाल करते हैं परंतु उन्हें आराम नहीं मिलता. आज हम आपको एक ऐसी आयुर्वेदिक विधि के बारे में जानकारी देंगे जिससे सालों साल पुरानी कब्ज की दिक्कत एक झटके में दूर हो जाती है.
क्या है एनिमा ?
एनिमा एक आयुर्वेदिक विधि है जो विशेषकर आंतों की सफाई के लिए इस्तेमाल की जाती है. इस विधि में इंजेक्शन के द्वारा मल द्वार से शरीर के अंदर तेल छोड़ा जाता है और पाँच से आठ मिनट तक अंदर रहने के पश्चात यह तेल बाहर आ जाता है और साथ ही पेट के भीतर जमा पुराना और ठोस मल भी बाहर आ जाता है जिससे आंतों की अच्छी तरह से सफाई हो जाती है.
कैसे कराना चाहिए एनिमा ?
यदि आप एनिमा कराना चाहते हैं तो इसके लिए आपको थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है. एनिमा से पहले आपको भोजन में खिचड़ी, पुलाओ, दलिया या सलाद खाना चाहिए जिससे एनिमा का असर प्रभावी ढंग से हो. इसके अलावा एनिमा करने के बाद भी आपको यही भोजन दोहराना है और अगले दिन ही रोटी, सब्जी, चावल या दाल खानी है.
मुफ्त है एनिमा
एनिमा आपके नज़दीकी आयुर्वेदि अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध है और यदि नहीं है तो आप इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन या सरकारी दफ्तर में कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा कोई आयुर्वेदिक अस्पताल नहीं होता जहां एनिमा की सुविधा न हो और अगर अस्पताल सरकारी है तो एनिमा आपको मुफ्त ही मिलेगा.
एनिमा 2-3 बार है जरुरी
जो भी रोगी एनिमा के इच्छुक हैं वह यह जान लें कि एनिमा को महीने में 2 से 3 बार कराना अनिवार्य है क्योंकि एक बार एनिमा कराने से पेट या आंतों को सफाई की आदत नहीं बनती अर्थात वह क्रियाशील नहीं होती. इसलिए महीने में कम से कम दो या तीन बार तो एनिमा कराना ही चाहिए.
आयुर्वेद का आखिरी दांव है एनिमा
अभी हम फिलहाल आयुर्वेद में जितना भी शोध कर पाएं हैं उसमें यही बात निकल कर आई है कि पेट या आंतों को साफ करने के लिए एनिमा अंतिम उपचार है क्योंकि एनिमा से पहले ही पेट को साफ रखने के लिए तमाम तरह के सिरप, टैबलेट आयुर्वेद में उपलब्ध हैं.