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Vikas joshi

Sales Executive in ICICI Bank | पोस्ट किया |


आर्टिकल 15 क्या है?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


भारतीय संविधान का आर्टिकल 15 भारत के नागरिकों को समता का अधिकार देने की बात करता है. इस आर्टिकल के तहत भारतीय नागरिकों से धर्म, जाति, लिंक और जन्मस्थान के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता. यह आर्टिकल सभी नागरिकों को दुकानों, पब्लिक रेस्टोरेंट्स, होटलों और सभी अन्य पब्लिक प्लेसेज पर जाने की अनुमति प्रदान करता है.


इसी आर्टिकल 15 को ताक में रखते हुए निर्देशक अनुभव सिन्हा ने आयुष्मान खुराना के साथ आर्टिकल 15 नाम की फिल्म बनाई है. जिसका ट्रेलर भी जल्द ही लांच हुआ है.आयुष्मान खुराना की फिल्म आर्टिकल 15 सच्ची घटना पर आधार‍ित है. चार सत्य घटनाओं पर र‍िसर्च करने के बाद इस फिल्म को बनाया गया है. अब देखना यह होगा कि सच्ची घटना पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को लुभाने में सफल होती है या नहीं.
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Blogger | पोस्ट किया


भारतीय संविधान के आर्टिकल 15A में नागरिक को समता का अधिकार दिया गया है। इस का सीधा मतलब यह होता है की राज्य या देश के कोई भी स्तर पर नागरिक के साथ धर्म, जाति, धर्मस्थान, लिंग या मूलवंश को लेकर कोई विभेद नहीं करेगा और सब को एक नागरिक के तौर पर समान अधिकार प्राप्त होंगे।
Letsdiskuss सौजन्य: न्यूज़ 18

हालांकि इस आर्टिकल के और भी अनुच्छेद है जीस के अनुसार इस में बच्चो और औरतो के लिए एवं पिछड़ी जातियों को अलग प्रावधान दिया गया है। सामान्यत: इस आर्टिकल के चलते किसी भी नागरिक को कोई भी सार्वजनिक स्थान का उपयोग करने से सिर्फ इस लिए नहीं रोका जा सकता की वो किसी एक खास धर्म, वर्ग, जाति या मूल से है। यह आर्टिकल देश के लोगो में समानता की भावना को बढावा देने और सब को समान अधिकार मुहैया करवाने के लिए स्थापित है।
इसी आर्टिकल के चलते कानून के सामने हर नागरिक समान होने की भावना का एहसास करता है और अपने आप को और परिवार को सुरक्षित मानता है। संविधान की मूल भावना को यह आर्टिकल उजागर करता है और इस में किसी भी तरह का परिवर्तन लोकतंत्र पर खतरे के समान माना जाता है।देश में कई बार संविधान के इस आर्टिकल में बदलाव लाने की मांग भी उठ चुकी है।



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| पोस्ट किया


आर्टिकल 15: संविधान के आर्टिकल 14 से लेकर 18 तक मैं देश को सभी नागरिकों को समता यानी समानता का मौलिक अधिकार देने की बात कही गई है भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मौलिक अधिकार दिए गए है इन अधिकारों का उद्देश है कि हर नागरिक सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके और किसी के साथ और किसी आधार पर भेदभाव ना करें।

आर्टिकल 15 के नियम एक के तहत राज्य किसी भी नागरिक के 7 जाति, धर्म, लिंग, जन्म और स्थान के वंश के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।Letsdiskuss


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