ज्योतिष शाश्त्र में फलित ज्योतिष क्या है ? - letsdiskuss
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Priya Gupta

Working with holistic nutrition.. | पोस्ट किया | ज्योतिष


ज्योतिष शाश्त्र में फलित ज्योतिष क्या है ?


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Content writer | पोस्ट किया


फलित ज्योतिष ज्योतिष शास्त्र की वह विद्द्या कहलाती है जिसमें सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रकार के सभी प्रभावों का अध्ययन किया जाता है | जैसा कि पहले जवाब में 5 भाव का अध्यन किया गया है , तो मैं उसके बाद के भाव की व्याख्या करना चाहती हूँ |


छटवां भाव :
फलित ज्योतिष के छटवें भाव का कार्य शत्रु, रोग, ऋण, चोरी ,दुर्घटना, काम, क्रोध, लालच इन सभी बातों पर विचार करना होता है |
सांतवां भाव :

फलित ज्योतिष के सातवें भाव में ग्रहस्त जीवन का विचार करना होता है | इसमें विवाह, कुंडली मिलाप, कलाह और भी कई सारी बातों पर विचार करना होता है |

आठवाँ भाव :
जैसा कि मानव जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है उसका जन्म लेना और उसका मर जाना और फलित ज्योतिष के आठवें भाव में इंसान के जीवन के सभी पहलुँओं पर विचार करना होता है |

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(Courtesy : वेबदुनिया )



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Astrologer,Shiv shakti Jyotish Kendra | पोस्ट किया


ज्योतिष शास्त्र में फलित ज्योतिष का बहुत महत्व है | आज आपको बताते हैं फलित ज्योतिष क्या होता है और इसके कितने भाव होते हैं |

फलित ज्योतिष ज्योतिष शाश्त्र का ही भाग होता है | फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसकी सहायता से मनुष्य और पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के होने वाले शुभ तथा अशुभ प्रभाव का अध्यन किया जाता है | आइये इसके भाव को समझते है |

- प्रथम भाव :-
फलित ज्योतिष से मानव की शारीरिक स्थिति, स्वास्थ्य, रूप, वर्ण, चिह्न, जाति, स्वभाव, गुण, आकृति, सुख, दु:ख, सिर इन सबका भाव पता चलता है |

- द्वितीय भाव :-
फलित ज्योतिष मनुष्य के धनसंग्रह, पारिवारिक स्थिति, उच्च विद्या, खाद्य-पदार्थ, वस्त्र, मुखस्थान, दाहिनी आंख, वाणी, अर्जित धन तथा स्वर्णादि धातुओं के भाव को दर्शाता है |

- तृतीय भाव :-
फलित ज्योतिष का तीसरा भाव मनुष्य के पराक्रम, छोटे भाई-बहनों का सुख, नौकर-चाकर, साहस, शौर्य, धैर्य, चाचा, मामा इन सभी के बारें में बताता है |

- चतुर्थ भाव :-
फलित ज्योतिष माता, स्थायी संपत्ति, भूमि, भवन, वाहन, पशु आदि का सुख, मित्रों की स्थिति, श्वसुर , फलित ज्योतिष इन सभी के बारें में विचार करता है |

- पंचम भाव :-
इस भाव में विद्या, बुद्धि, नीति, गर्भ स्थिति, संतान, गुप्त मंत्रणा, मंत्र सिद्धि, विचार-शक्ति, लेखन, प्रबंधात्मक योग्यता, पूर्व जन्म का ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेम-संबंध, इच्छाशक्ति इन सभी का विचार होता है |

Letsdiskuss(Image Credit - indianastroexperts )



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| पोस्ट किया


आज हम आपको ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताएंगे कि ज्योतिष शास्त्र में फलित ज्योतिष क्या होता है दोस्तों फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। तो चलिए इन के भावों को समझते हैं। इन्हें 5 भावों के द्वारा बांटा गया है, प्रथम भाव,द्वितीय भाव तृतीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, इस प्रकार इस लिंग के अंतर्गत मनुष्य पृथ्वी ग्रह सभी का दिन किया जाता है कि मनुष्य के जीवन में किस तरह का समय आने वाला सब कुछ इससे के द्वारा पता चल जाता है।

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