ज्योतिष शास्त्र में फलित ज्योतिष का बहुत महत्व है | आज आपको बताते हैं फलित ज्योतिष क्या होता है और इसके कितने भाव होते हैं |
फलित ज्योतिष ज्योतिष शाश्त्र का ही भाग होता है | फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसकी सहायता से मनुष्य और पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के होने वाले शुभ तथा अशुभ प्रभाव का अध्यन किया जाता है | आइये इसके भाव को समझते है |
- प्रथम भाव :-
फलित ज्योतिष से मानव की शारीरिक स्थिति, स्वास्थ्य, रूप, वर्ण, चिह्न, जाति, स्वभाव, गुण, आकृति, सुख, दु:ख, सिर इन सबका भाव पता चलता है |
- द्वितीय भाव :-
फलित ज्योतिष मनुष्य के धनसंग्रह, पारिवारिक स्थिति, उच्च विद्या, खाद्य-पदार्थ, वस्त्र, मुखस्थान, दाहिनी आंख, वाणी, अर्जित धन तथा स्वर्णादि धातुओं के भाव को दर्शाता है |
- तृतीय भाव :-
फलित ज्योतिष का तीसरा भाव मनुष्य के पराक्रम, छोटे भाई-बहनों का सुख, नौकर-चाकर, साहस, शौर्य, धैर्य, चाचा, मामा इन सभी के बारें में बताता है |
- चतुर्थ भाव :-
फलित ज्योतिष माता, स्थायी संपत्ति, भूमि, भवन, वाहन, पशु आदि का सुख, मित्रों की स्थिति, श्वसुर , फलित ज्योतिष इन सभी के बारें में विचार करता है |
- पंचम भाव :-
इस भाव में विद्या, बुद्धि, नीति, गर्भ स्थिति, संतान, गुप्त मंत्रणा, मंत्र सिद्धि, विचार-शक्ति, लेखन, प्रबंधात्मक योग्यता, पूर्व जन्म का ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेम-संबंध, इच्छाशक्ति इन सभी का विचार होता है |

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