भारतीय ज्योतिष शास्त्र में किसी का भविष्य जानना हो तो उसके लिए उसकी जन्म तारीख, जन्म समय , जन्म स्थान की आवश्यकता होती है, जिसकी सहायता से उसकी कुंडली बनाई जाती है और पंचाग की सहायता से उसका भूत और भविष्य देखा जाता है | भारतीय ज्योतिष में 12 राशियां होती है जो की मनुष्य के जन्म लग्न और पक्ष पर निर्भर करती है |
आज आपको चीनी ज्योतिष के बारें में बताते हैं, और इसकी शुरुआत कहा से हुई यह भी जानते हैं | चीनी ज्योतिष में भी 12 राशियां होती हैं जो कि पांच तत्वों से मिलकर बनी है | आग, लकड़ी , धरती , धातु और जल इन पांच चीज़ों के मिलान से चीनी राशियों का निर्माण हुआ है |
चीनी ज्योतिष में किसी का भविष्य उसके जन्म के महीने और साल के अनुसार बताया जाता है | चीनी ज्योतिष में साल को जानवरों के नाम से जाना जाता है और जब चीनी ज्योतिष के आधार पर किसी की कुंडली बनाई जाती है या उसका भविष्य बताया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह कौन से जानवर वर्ष में जन्मा है |
चीनी ज्योतिष की शुरुआत वर्ष 1900 से हुई | चीनी ज्योतिष में वर्ष के नाम जानवरों के नाम से रखने की एक बड़ी रोचक कहानी है | एक बार महत्मा बुद्ध ने नए साल की ख़ुशी में सभी जानवरों को दावत पर बुलाया और उनकी दावत पर सिर्फ चूहा, बैल, सिंह, खरगोश, ड्रैगन, सांप, घोड़ा, भेड़, कुत्ता, बन्दर, मुर्गा और सूअर ही आये | इसलिए उन्होंने नए साल के दिन एक इन सभी जानवरों के लिए एक सम्मानीय घोषणा की , उन्होंने कहा कि आज के बाद चीनी ज्योतिष में वर्षों को इन्ही जानवरों के अनुसार माना जाएगा |
(Courtesy : webdunia )