कोलोरेक्टल कैंसर क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं ? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language


English


Brij Gupta

Optician | पोस्ट किया |


कोलोरेक्टल कैंसर क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं ?


4
0




| पोस्ट किया


कोलोरेक्टल कैंसर :-वह कैंसर है जो मलाशय या बृहदान्त्र, किसी को भी प्रभावित करता है। जबकि कैंसर जो विशेष रूप से बृहदान्त्र पर हमला करता है उसे कोलन कैंसर कहा जाता है , और वह कैंसर जो मलाशय पर हमला करता है उसे रेक्टल कैंसर कहा जाता है।आम तौर पर, लेकिन सभी मामलों में नहीं, कोलोरेक्टल कैंसर प्रीकैंसरस पॉलीप्स के कारण समय पर विकसित होता है। कोलोरेक्टल कैंसर के अधिकतम मामले अडेनोमाटोस पॉलिप्स कोशिकाओं के छोटे, कैंसर मुक्त गुच्छों के रूप मैं शुरू होते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पोलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बन जाते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण :-एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है। ऐसे कारणों से आपको असामान्य रूप से थकान महसूस हो सकती है

जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है। एनीमिया से पीड़ित

व्यक्ति को आमतौर पर ज्यादातर समय सांस लेने में भी तकलीफ होती है।

कोलन कैंसर के कुछ अन्य संभावित लक्षण पेट या पेल्विक क्षेत्र में दर्द हो सकते हैं। वजन में अस्पष्टीकरण कमी और आसमान्य उल्टी की घटनाएं।Letsdiskuss


2
0

pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


आखिर यह कोलोरेक्टल कैंसर क्या है?

डॉ उमर अफरोज (एमबीबीएस, एम्स) :- डॉ उमर अफरोज के मुताबिक आंत का कैंसर और मलाशय का कैंसर एक साथ हो सकते हैं, इसे "कोलोरेक्टल कैंसर" कहा जाता है। मलाशय कैंसर मलाशय में उत्पन्न होता है, जो गुदा के निकटतम बड़ी आंत का हिस्सा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अमेरिका के सीडीसी का कहना है कि फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर में होने वाला यह दूसरा सबसे आम कैंसर है।

कोलोरेक्टल कैंसर के अधिकतर मामले अडेनोमाटोस पॉलिप्स कोशिकाओं के छोटे, कैंसर मुक्त गुच्छों के रूप में शुरू होते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बन जाते हैं।

पॉलिप्स अक्सर छोटे होते हैं, और उनके होने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए डॉक्टर नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। ये टेस्ट कोलन कैंसर बनने से पहले पॉलिप्स की पहचान कर लेते हैं और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में मदद करते हैं

।कोलोरेक्टल कैंसर के संकेत और लक्षण

कोलोरेक्टल कैंसर,खासकर प्रारंभिक अवस्था में किसी विशेष लक्षण को प्रकट नहीं करता है। यदि आप लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो इनमें शामिल हो सकते हैं –

बार बार शौचालय जाना।
दस्त
कब्ज
मल त्यागने के बाद भी दोबारा शौचालय जाने की इच्छा महसूस होना।
मल में रक्त आना।
पेट में दर्द
पेट फूला हुआ महसूस होना (अगर खाने खाये हुए काफी देर हो गयी हो तो भी ऐसा महसूस हो सकता है)
उल्टी
थकावट
अत्यधिक वजन घटना।
डॉक्टर द्वारा आपके पेट में या पिछले हिस्से में एक गांठ महसूस करना।
पुरुषों में या रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में आयरन की अत्यधिक कमी होना।

कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम

नियमित जांच – विशेष रूप से यदि आपको पहले कोलोरेक्टल कैंसर रह चुका है, आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, इस प्रकार के कैंसर का एक पारिवारिक इतिहास है, आप क्रोहन रोग से पीड़ित हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 50 वर्ष की आयु के बाद जांच कराना शुरू कर देना चाहिए।

पोषण – सुनिश्चित करें कि आपके आहार में भरपूर फाइबर, फल, सब्जियां और अच्छी गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट हों। लाल मांस और संसाधित (processed) मांस के सेवन को सीमित कर दें या बंद कर दें। संतृप्त वसा के स्थान पर अच्छी गुणवत्ता वाले वसा, जैसे कि एवोकाडो, जैतून का तेल, मछली के तेल और मेवे का सेवन करें। हालांकि, इस अध्ययन में पाया गया कि यद्यपि शाकाहारी व्यक्तियों में कैंसर विकसित करने का जोखिम कम होता है, लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का खतरा मांस खाने वालों की तुलना में इन व्यक्तियों में अधिक है।

व्यायाम – नियमित रूप से व्यायाम करें। प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा व्यायाम करने से कोलोरेक्टल कैंसर के विकास का खतरा कम किया जा सकता है।

शरीर का वज़न – अपने शरीर के वज़न को संतुलित बनाए रखें। अधिक वजन बढ़ने से या मोटापे के कारण व्यक्ति में कोलोरेक्टल कैंसर सहित अन्य कैंसर विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है।
Letsdiskuss


2
0

');