कुबेर की सवारी क्या है ? - letsdiskuss
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Himani Saini

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कुबेर की सवारी क्या है ?


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ऋषि विश्रवा के पुत्र कुबेर को धन के देवता कहा जाता है। रानी कैकसी ने ऋषि विश्रवा को पति के रूप मे चुना उस समय कुबेर बहुत छोटे थे। कैकसी और ऋषि विश्रवा के विवाह के पश्चात रावण, कुंभकरण ,विभीषण और बहन शुर्पणखा का जन्म हुआ। कुबेर ने बृह्मा जी की कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर बृह्मा जी ने कुबेर को धन के देवता होने का  और उत्तर दिशा मे हमेशा उनका स्वामित्व रहेगा ऐसा वरदान दिया था। 

ऋषि विश्रवा ने अपने पुत्री कुबेर को सोने की लंका और पुष्पक विमान भेंट स्वरूप दी थी । लेकिन रावण ने अपने पिता से लंका मांगी तो पिता ने मोह मे आकर लंका रावण को दे दी और पुष्पक विमान कुबेर के पास ही रहने दिया। 

 

एक बार रावण ने विश्व विजय करने का निश्चय किया क्योकि उसे बृह्मा जी से वरदान प्राप्त था। उसने तीनो लोगो पर आक्रमण किया और जीत भी गया। लंका से निकाल जाने के बाद कुबेर अलकापूरी मे निवास करने लगे थे। रावण ने वहा भी आक्रमण किया और अलकापूरी से जीत के रूप में पुष्पक विमान ले गया। 

कुबेर को यक्षो का राजा भी माना जाता हैं। धन प्राप्ति के लिए सभी लोग कुबेर भगवान और माता लक्ष्मी का पूजन करते है। धनतेरस पर भगवान कुबेर का पूजन किया जाता है और धन प्राप्ति की कामना की जाती हैं। 

 

भगवान कुबेर की सवारी नेवला और देसी सुअर माने जाते है। 

माता पार्वती को बुरी दृष्टि से देखने की वजह से माता पार्वती के क्रोध ने कुबेर की एक आँख को नष्ट कर दिया था। जिसकी वजह से इन्हे एक आँख वाला पिंगली  कहा जाता है।

कुबेर धन, सम्पदा के स्वामी है और वट वृक्ष पर निवास करते है। भगवान कुबेर को प्रसन्न करने व इनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महामृत्युंजय का जाप 10000 बार करना चाहिए। 

 

 

 

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कुबेर भगवान के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे क्योंकि इन्हें धन का देवता माना जाता है। कुबेर जी को भगवान ब्रह्मा जी ने समस्त संपत्ति का स्वामी बनाया है। कुबेर जी को शिव का परम भक्त और नौ निधियों का देवता भी कहा गया है। कुबेर भगवान भगवान कुबेर की माता का नाम देववर्णीणी और उनके पिता का नाम महर्षि विश्रवा है। अब मैं आपको बता दूं कि भगवान कुबेर की सवारी देसी सूअर तथा नेवला को माना गया है। इसके अलावा मत्स्य एवं वायु पुराणो के अनुसार पुष्पक विमान को भगवान कुबेर का  वाहन माना गया है।

चलिए हम आपको भगवान कुबेर के बारे में कुछ अन्य जानकारी देते हैं :-

कुबेर जी पहले श्रीलंका के राजा हुआ करते थे। लेकिन रावण ने उनसे लंका को हथिया लिया  था। यह भी बताया जाता है कि कुबेर देव के पास एक महत्वपूर्ण पुस्तक विमान और चंद्रकांता मणि भी थी जिसे रावण ने हथिया लिया था।

 कुबेर देवता के बारे में यह भी बताया जाता है कि पुनर्जन्म में कुबेर चोर थे।

 कुबेर देव की शादी  मूर दानव की पुत्री से हुई थी। और फिर इनके दो पुत्र हुए नल कुबेर और मानिग्रीव।

 कहा जाता है कि घर की उत्तर दिशा को कुबेर देव की दशा माना जाता है। और कहते हैं कि इस दिशा की दशा सही रखने से घर में सुख शांति और धन-धान्य बना रहता है।

 यदि आपको वीर देवता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप उन्हें उनकी पसंदीदा मिठाई यानी कि चावल की खीर बनाकर भोग लगा सकते हैं।

 इसके अलावा कुबेर देवता को पीले रंग के फूल काफी पसंद है। कहते हैं की गेंदे का पौधा लगाने से धन और धान्य मैं वृद्धि होती है।

 वास्तु के मुताबिक कुबेर देवता की मूर्ति को लाकर या तिजोरी में रखने से आर्थिक उन्नति होती है।

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चलिए दोस्तों आज हम आपको बताते हैं कि भगवान कुबेर की सवारी क्या होती है।भगवान कुबेर को सभी जानते ही होंगे  क्योंकि भगवान कुबेर धन के देवता हैं जो भी भगवान कुबेर की पूजा सच्चे मन से करता है उनके घर में कभी भी धन दौलत की कमी नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को कुबेर धन के दात्री होते हैं।भगवान कुबेर की पूजा दीपावली के दिन की जाती है इस दिन अगर हम भगवान कुबेर की पूजा सच्चे दिल से करते हैं तो हमारे घर में कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती है।दीपावली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है साथ ही भगवान गणेश और लक्ष्मी मां की पूजा भी की जाती है। यह तो आप सभी जानते हैं कि भगवान कुबेर धन के दात्री होते हैं।पर क्या आपको पता है कि भगवान कुबेर की सवारी क्या होतेी है। अगर नहीं पता तो चलिए हम बताते हैं कि भगवान कुबेर की सवारी क्या होती है।

 

भगवान कुबेर की सवारी देसी सूअर या नेवला होता है।

आप भगवान कुबेर की फोटो देखिएगा उसमें भगवान कुबेर नेवला के साथ दिखाई देते हैं अर्थात नेवला के ऊपर विराजमान होते हैं। नेवला या सूअर भगवान कुबेर का वहान भी होते है।

 

आप जब भी भगवान कुबेर की फोटो लेते हैं तो उसमें देखते होंगे कि भगवान कुबेर के फोटो में पैसे होते हैं और नेवला के ऊपर बैठे दिखाई देते हैं इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि भगवान कुबेर की सवारी नेवला है और भगवान कुबेर धन के दात्री होते हैं।

 

चलिए हम आपको भगवान कुबेर की पूजा विधि बताते हैं कि आप भगवान कुबेर को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं।

 

सबसे पहले आप सुबह उठकर अच्छी तरह से नहा धो लीजिए और साफ सुथरे कपड़े पहन कर स्वच्छ जल लेकर भगवान कुबेर को जल चढ़ाईए उसके बाद उनके ऊपर पुष्प अर्पित कीजिए पुष्प अर्पित करने के बाद धूप दीप जलाइए और भगवान कुबेर को सच्चे मन से प्रणाम कीजिए इससे भगवान कुबेर आपकी भक्ति से प्रसन्न हो जाएंगे।

 

 

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जब भी कुबेर नाम का जिक्र होता है तो लोगों के जहन में धन के देवता कुबेर जी का नाम सबसे पहले आता है। दोस्तों कुबेर जी को कई अन्य नामो से भी जाना जाता है। जैसे की धनपति, धनदाता,कुबेर धनंदा आदि नाम से जाना जाता है। और तो और हमारे हिंदू धर्म में धनतेरस और दीपावली के शुभ अवसर पर कुबेर देवता के पैरों की रंगोली बनाई जाती है और फिर उनकी पूजा की जाती है माता लक्ष्मी जी के साथ में। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धन की देवता यानी कि कुबेर देव की सवारी क्या है। शायद आप नहीं जानते होंगे तो कोई बात नहीं चलिए हम आपको इसकी जानकारी प्राप्त में आपकी मदद करते हैं।

 

यहां पर मैं आपको बताने वाली हूं कि धन के देवता कुबेर जी की सवारी क्या है:-

 दोस्तों आपने अपने घर पर कुबेर देवता की फोटो तो अवश्य लगाई होगी। तो आपने देखा होगा कि कुबेर देवता हमेशा सूअर या नेवले के ऊपर सवार रहते हैं। जी हां दोस्तों मैं आपको बता दूं कि कुबेर देवता की सवारी नेवला है।

 

चलिए हम आपको बताते हैं कि आप कुबेर देवता की पूजा कैसे कर सकते हैं:-

दोस्तों कहते हैं कि यदि कुबेर देवता की पूजा आप सच्चे मन से करते हैं तो वह आप पर अपनी कृपा अवश्य बरसायंगे। क्योंकि कुबेर देवता बहुत ही दयालु स्वभाव के होते हैं। हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं। कुबेर देव की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह  सूरज निकलने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद शुद्ध गंगाजल से कुबेर देवता को स्नान करवाना चाहिए, और कुबेर देवता जी को पुष्प अर्पित करना चाहिए, उन्हें भोग लगाना चाहिए, धूप, अगरबत्ती से उनकी पूजा करनी चाहिए, ऐसा करने से भगवान कुबेर देव अवश्य प्रसन्न होते हैं। और अपने भक्तों के ऊपर अपनी कृपा बरसाते हैं।

 जो व्यक्ति सच्चे मन से कुबेर देवता की पूजा करता है तो उसे व्यक्ति के पास कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।

 

 

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