Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language


English


komal Solanki

Blogger | पोस्ट किया |


मिशन अरीकोम्बन क्या है?


24
0




| पोस्ट किया


मिशन अरीकोम्बन एक विशेष अभियान है जो भारत के केरल राज्य में शुरू किया गया था। यह अभियान एक जंगली हाथी से जुड़ा है जिसका नाम अरीकोम्बन है। अरीकोम्बन एक विशाल हाथी है जो अपने व्यवहार और क्षेत्र में लोगों के साथ टकराव के कारण चर्चा में आया। इस लेख में हम मिशन अरीकोम्बन के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम देखेंगे कि यह मिशन क्या है, इसका उद्देश्य क्या था, और यह क्यों महत्वपूर्ण बना। यह जानकारी 20 मार्च 2025 तक के आधार पर है।

 

Letsdiskuss

 

अरीकोम्बन कौन है?

अरीकोम्बन एक जंगली हाथी है जो केरल के इडुक्की जिले में रहता है। इसका नाम मलयालम शब्दों "अरी" (चावल) और "कोम्बन" (दांतेदार) से आया है। इसका मतलब है "चावल खाने वाला दांतेदार हाथी"। यह हाथी अपने बड़े दांतों और चावल की दुकानों में घुसने की आदत के लिए जाना जाता है। अरीकोम्बन कई सालों से स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का कारण बना। यह जंगल से निकलकर गांवों में आता था। वहां यह फसलों को नष्ट करता था और दुकानों से चावल चुराता था। इस वजह से लोग डरते थे।

 

मिशन अरीकोम्बन की शुरुआत

मिशन अरीकोम्बन की शुरुआत 2023 में हुई। केरल वन विभाग ने इसे शुरू किया। इसका मकसद अरीकोम्बन को पकड़ना और सुरक्षित जगह पर ले जाना था। यह हाथी इडुक्की के चिन्नाकनाल और शंकरकुलम जैसे इलाकों में बार-बार आता था। वहां इसने कई घरों और दुकानों को तोड़ा। लोग इसके हमलों से परेशान थे। कुछ घटनाओं में लोगों की जान भी गई। इसलिए वन विभाग को कदम उठाना पड़ा। मिशन का लक्ष्य था कि अरीकोम्बन को जंगल के गहरे हिस्से में ले जाया जाए। इससे लोग और हाथी दोनों सुरक्षित रहें।

 

मिशन का उद्देश्य

मिशन अरीकोम्बन का मुख्य उद्देश्य था मानव-हाथी संघर्ष को कम करना। केरल में जंगल और गांव पास-पास हैं। इस वजह से जंगली जानवर अक्सर गांवों में आ जाते हैं। अरीकोम्बन जैसे हाथी फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे लोग गुस्सा हो जाते हैं। कई बार लोग हाथियों पर हमला करते हैं। यह स्थिति दोनों के लिए खतरनाक है। मिशन के जरिए वन विभाग ने अरीकोम्बन को पकड़कर दूर ले जाने की योजना बनाई। साथ ही, लोगों को जागरूक करना भी इसका हिस्सा था।

 

मिशन कैसे चला?

मिशन अरीकोम्बन को चलाना आसान नहीं था। वन विभाग ने इसके लिए बड़ी टीम बनाई। इसमें वन अधिकारी, पशु चिकित्सक, और प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल थे। पहले अरीकोम्बन की हरकतों पर नजर रखी गई। ड्रोन और कैमरों का इस्तेमाल हुआ। फिर उसे पकड़ने की योजना बनी। मई 2023 में मिशन शुरू हुआ। टीम ने अरीकोम्बन को शांत करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल किया। इसके बाद उसे ट्रक में डाला गया। यह काम बहुत सावधानी से किया गया। कई घंटों की मेहनत के बाद अरीकोम्बन को पकड़ लिया गया। फिर उसे पेरियार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया। यह जगह उसके लिए सुरक्षित थी।

 

चुनौतियां क्या थीं?

मिशन में कई मुश्किलें आईं। अरीकोम्बन बहुत ताकतवर और चालाक था। उसे पकड़ना जोखिम भरा था। जंगल का इलाका भी मुश्किल था। पहाड़ और घने पेड़ों ने काम को कठिन बनाया। इसके अलावा, स्थानीय लोग भी परेशान थे। कुछ लोग अरीकोम्बन को मारना चाहते थे। वे इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। वन विभाग को लोगों को समझाना पड़ा। टीम ने दिन-रात मेहनत की। आखिरकार, मिशन सफल हुआ। लेकिन यह आसान नहीं था।

 

मिशन का असर

मिशन अरीकोम्बन का असर सकारात्मक रहा। अरीकोम्बन को जंगल में ले जाने से गांवों में राहत आई। लोग अब कम डरते हैं। उनकी फसलें और दुकानें सुरक्षित हैं। साथ ही, अरीकोम्बन भी सुरक्षित जगह पर है। वह अब जंगल में रहता है जहां उसे खाना मिलता है। यह मिशन मानव-हाथी संघर्ष को कम करने का एक उदाहरण बना। केरल सरकार और वन विभाग की तारीफ हुई। लोगों ने इसे एक अच्छा कदम माना।

 

लोगों की प्रतिक्रिया

मिशन को लेकर लोगों की अलग-अलग राय थी। कुछ लोग खुश थे कि अरीकोम्बन अब गांवों में नहीं आएगा। लेकिन कुछ पर्यावरण प्रेमी चिंतित थे। उनका कहना था कि अरीकोम्बन को उसके घर से दूर ले जाना ठीक नहीं है। वे चाहते थे कि जंगल को बचाने के लिए और कदम उठाए जाएं। कुछ ने कहा कि यह सिर्फ एक अस्थायी हल है। फिर भी, ज्यादातर लोगों ने मिशन का समर्थन किया। उनकी सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता थी।

 

मिशन से सबक

मिशन अरीकोम्बन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। यह दिखाता है कि इंसान और जंगली जानवरों के बीच संतुलन जरूरी है। जंगल कम होने से जानवर गांवों में आते हैं। हमें जंगलों को बचाना होगा। साथ ही, लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। मिशन ने बताया कि सही योजना से बड़ी समस्याएं हल हो सकती हैं। लेकिन यह भी सच है कि यह सिर्फ शुरुआत है। भविष्य में और काम करना होगा।

 

निष्कर्ष

मिशन अरीकोम्बन एक अनोखा और जरूरी अभियान था। यह केरल के एक जंगली हाथी की कहानी है जिसने लोगों को परेशान किया। वन विभाग ने इसे पकड़कर जंगल में छोड़ा। इससे लोग और हाथी दोनों सुरक्षित हुए। मिशन ने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की कोशिश की। यह सफल रहा, लेकिन यह समस्या का पूरा हल नहीं है। जंगल और जानवरों को बचाने के लिए हमें और मेहनत करनी होगी। मिशन अरीकोम्बन हमें यह सिखाता है कि प्रकृति और इंसान साथ-साथ रह सकते हैं, अगर हम कोशिश करें।

 


0
0

');