भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल के कैबिनेट ने एक नया राजनीतिक मानत्रिच जारी किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है. लिपुलेख दर्रा, नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है. भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है.
इन हिस्सों को भारत का मानचित्र लंबे समय से अपने हिस्से में दिखाता रहा है. हालांकि, नेपाल इसे 1816 की सुगौली संधि का उल्लंघन बताता रहा है.भारत ने 1962 से ही अपनी टुकड़ियों की तैनाती कर रखी है.....
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का कहना है कि,लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के हिस्से हैं. उन्होंने राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से इन हिस्सों को भारत से दोबारा हासिल करेंगे.अपनी सेना को तैनात करके भारत ने इसे विवादित बना दिया. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा सेना की तैनाती के बाद नेपाल के लोगों को वहां जाने से रोक दिया गया है.
किसके कहने पर नेपाल भारत से उलझ रहा है
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी महीने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सर्कुलर लिंक रोड का उद्घाटन किया था.भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परोक्ष रूप से चीनी भूमिका का संकेत देते हुए कहा था कि यह मानने के कारण हैं कि उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे तक भारत के सड़क बिछाने पर नेपाल किसी और के कहने पर आपत्ति जता रहा है.
