हिन्दू धर्म के अनुसार यह महत्त्वपूर्ण कुण्डली मानी जाती है।इसके अलावा वैदिक ज्योतिष में नवमांश कुण्डली को कुण्डली को पूरक माना गया है।आपको अगर साधारण शब्दों में समझाया जाएं तो जहां लग्न कुण्डली देह को दर्शाती है वहीं नवमांश कुण्डली आत्मा को अभिव्यक्त कहा जाता है। पराशर संहिता अनुसार व्यक्ति की जन्म कुन्डली का संबंध नवांश कुण्डली के साथ उचित प्रकार से बन जाता है तो वर्गोत्तम नवमांश बनता है और ऎसा होने पर व्यक्ति को अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।इस कुंडली के अनुसार अगर ग्रह अच्छी स्थिति या उच्च हों तो वर्गोत्तम की स्थित उत्पन्न होती है और व्यक्ति शारीरिक व आत्मिक रुप से स्वस्थ हो शुभ दायक स्थिति को पाता है ।यदि कोई ग्रह जन्म कुण्डली में नीच का हो, परंतु नवांश कुण्डली में वह उच्च का हो तो वह अच्छे फल प्रदान करने वाला होता है और यही तथ्य नवांश कुण्डली की महत्ता को दर्शाते हैं।
इसे तीन भागो में बता गया है।
- - देव नवांश
- - नर नवांश
- - राक्षस नवांश