पतंजलि विज्ञापन केस क्या है - letsdiskuss
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Abhishek Gaur

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पतंजलि विज्ञापन केस क्या है


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दुनिया भर मे प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनी पतंजली से हर कोई परिचित है। 

पतंजली यानी बाबा रामदेव। 

लोग पतंजली के नाम को कम लेकिन बाबा रामदेव की कंपनी के नाम से ज्यादा जानते है। 

पतंजली हर्बल और एफएमसीजी वाले प्रोडक्ट्स का उत्पादन करती हैं। यह कंपनी बाबा रामदेव और उनके बचपन के साथी आचार्य  बालकृष्ण ने शुरू की। 

हालाँकि इस कंपनी में बाबा रामदेव की हिस्सेदारी केवल 7% है और बाबा इस कंपनी मे ब्रांड प्रमोटर है। 

पतंजली कंपनी की शुरुवात 2006 मे हुई थी। 

आचार्य बालकृष्ण रामदेव बाबा के साथ बचपन से है। दोनो साथ ही मे बड़े हुए , शिक्षा ग्रहण की और योग की शिक्षा भी। 

इस कंपनी मे बालकृष्ण 93% ही हिस्सेदारी रखते है । 2006 मे शुरू हुई इस कंपनी ने 2017 तक पूरे मार्केट मे अपना पैर पसार लिया था। 40 हजार करोड़ का टर्न ओवर वाली यह कंपनी पूरे भारत मे प्रसिद्ध हो चुकी हैं। 

हाल ही मे पतंजली के मालिक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केस किया था जिसके अनुसार - बाबा रामदेव ने लाइन कही थी  के फार्मा, एलोपैथी और मेडिकल उद्योग से खुद को बचाये और देश को ऐसी दवाइयो के उपयोग करने से रोके। कोविड से होने वाली मृत्यु की जिम्मेदार एलोपैथि दवाइयाँ है। 

जिसके बाद मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव पर ऐसे ब्रामक विज्ञापन के चलते केस कर दिया जिसकी सुनवाई मे बाबा रामदेव और कंपनी के द्वारा दूसरे माफ़ीनामे को भी खारिज कर दिया गया।

2024 मे भी लगातार ऐसे ही ब्रामक विज्ञापनों के आने से केस फिर से ताज़ा हो गया और कोर्ट ने पतंजली के सभी विज्ञापनों और ब्रांडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

केस के सुनवाई फिर से 16 अप्रैल तय की गई। कोर्ट रामदेव बाबा और उनके आचार्य बालकृष्ण की निंदा करते हुए व लोगो की ज़िंदगियों से खिलवाड करने के लिए दोषी मानते है। 

 

 

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार के दिन पतंजलि के विवादित विज्ञापन केस में बाबा रामदेव तथा बालकृष्ण के माफीनामे को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया है।जस्टिस हिमा कोहली तथा जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच मे पतंजलि विज्ञापन के  सबसे होनहार वकील मुकुल रोहतगी और विपिन सांघी ने बोला है कि आप सब कुछ जानते हुए भी कोर्ट के द्वारा बनाये गये नियमों का उल्लंघन किया है, इसलिए अगली कार्यवाही के लिए तैयार हो जाएं।

 

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केंद्र की ओर से खत मिला है कि आपको कानून द्वारा बनाये गये नियम का पालन जरूर करना चाहिए, अभी तक 6 बार पतंजलि विज्ञापन केस हो चूका है। हर एक बार लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप थे। लेकिन इसके बाद जो भी इंस्पेक्टर आया है वह भी यही कर रहा है,तो ऐसे मे ध्रुव मेहता तथा वंशज शुक्ला जैसे अफसरों को तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए। इस केस की अगली सुनवायी की तारीख 16 अप्रैल की रखी गयी है।

 

इसके पहले 2 अप्रैल को पतंजलि विज्ञापन केस की ओर से माफ़ीनामा दिया गया था, लेकिन 2अप्रैल क़ो भी कोर्ट द्वारा इस बेंच फटकार दिए और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोला गया कि ये माफीनामा केवल खानापूर्ति के लिए ही है। उन्होंने कहा कि आपके अंदर माफी मांगने का भाव नहीं दिखता है। ऐसे मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 अप्रैल को सुनवायी की अगली तारीख रखी गयी।

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवायी के एक दिन पहले 9 अप्रैल को बाबा रामदेव तथा पतंजलि के आयुर्वेद के मैनेजिंग आचार्य बालकृष्ण ने एक नयी एफिडेविट फाइल बनाकर तैयार किया है।जिसमें उन्होंने पतंजलि विज्ञापन केस के लिए एफिडेविट फाइल मे बिना किसी शर्त के माफीनामा लिखते हुए उन्होंने बोला है इस गलती के लिए खेद है और अगली बार ऐसी कोई गलती नहीं होंगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पतंजलि विज्ञापन केस के मामला सुलझा दिया है और उनके द्वारा एफिडेविट माफ़ीनामा स्वीकार कर लिया गया है।

 

 

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चलिए हम आपको पतंजलि विज्ञापन कैसे क्या है इसकी जानकारी देते हैं :-

दोस्तों आप सभी बहुत अच्छे से पतंजलि कंपनी के बारे में जानते होंगे क्योंकि अक्सर टीवी में दिखाया जाता है कि पतंजलि कंपनी के सभी प्रोडक्ट चाहे घी हो साबुन हो, शैंपू हो, लोगों का मानना है कि इसके प्रोडक्ट बहुत ही अच्छे होते हैं। जिसे प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है। और आप जानते ही हैं कि इस कंपनी की शुरुआत बाबा रामदेव द्वारा की गई है और आप सभी बाबा रामदेव को तो अच्छे से ही पहचानते हैं।

 

तो चलिए आखिर ये पतंजलि विज्ञापन कैसे क्या है हम आपको बताते हैं। :- 

एक रिपोर्ट के द्वारा बताया गया है कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन और इससे संबंधित मानहानि मामले में 10 अप्रैल को कोर्ट ने कंपनी और बाबा रामदेव का दूसरा माफी नाम भी खारिज कर दिया है। मैं आपको बता दूं कि ये विवाद जुलाई 2022 में शुरू हुआ था। बताया जाता है कि उसे समय पतंजलि ने अखबार में एक विज्ञापन जारी किया था जिसका सी शक तथा एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमियां। इस प्रचार में पतंजलि ने आंख कान की बीमारियों, लिवर, थायराइड, अस्थमा में एलोपैथी इलाज और त्वचा संबंधी बीमारियों को नाकाम बताया था। और विज्ञापन में यह दावा किया गया था कि इन बीमारियों को पतंजलि दवा के जरिए पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट में पतंजलि कंपनी के नाम पर 6 बार केस दर्ज किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि हर बार बाबा रामदेव को माफी मिल जाती थी लेकिन इस बार जनता भड़क चुकी है और जनता बाबा रामदेव को माफ नहीं करेगी लेकिन बाबा रामदेव का कहना है कि आगे से ऐसी गलती नहीं की जाएगी। वैसे तो इस कंपनी में बाबा रामदेव का हिस्सा केवल 7% है इसलिए बाबा रामदेव को माफी मिल जानी चाहिए।

 

 

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