किसी भी देश को पूर्ण रूप से विकासशील तभी माना जाता है जब उस देश में गरीबी और भुखमरी बिल्कुल ना के बराबर हो | इस न्याय योजना को इसी वजह से लाया जा रहा है इस योजना के तहत करीब 5 करोड़ परिवारों(25 करोड़ लोग) को हर साल 72,000 रुपये की न्यूतनत आय की गारंटी दी जा रही हैं. देश से गरीबी दूर करने का लक्ष्य रखकर लाई गई इस योजना के तहत हर साल देश के 20 फीसदी अत्यंत गरीब लोगों को महीने में कम से कम 12 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी. इस योजना के मुताबिक अगर कोई 12 हजार से कम कमाता है तो उस की आर्थिक मदद करके उसे 12 हजार महीना उपलब्ध करवाना इस योजना का उद्देश्य है|
कैसे लागू की गई योजना
कांग्रेस ने इस योजना के वित्तीय प्रभावों का अध्ययन किया है. और इसको अंतिम रूप देने से पहले देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों तथा एक्सपर्ट से 4-5 महीने तक कई दौर में परामर्श लिया है. अगर कांग्रेस सत्ता में आई और उसने इसे लागू कर दिया तो यह दुनिया की सबसे बड़ी कल्याणकारी योजना साबित हो सकती है. 25 करोड़ की जनसंख्या का मतलब है पूरे एक इंडोनेशिया जैसे देश के बराबर. इससे पहले इतने बड़े पैमाने पर दुनिया में कहीं भी यूनिवर्सल बेसिक इनकम या न्यूनतम आय गारंटी की योजना लागू नहीं की गई है.
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में आर्थिक असमानता पर शोध करने वाली संस्था वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब के सह-निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री लूकस चांसेल ने इस योजना को सराहते हुए इसे एक परिवर्तनकारी कदम बताया है.लूकस चांसेल ने कहा है.भारत में बीते तीन दशकों से असमानता तेजी से बढ़ रही है. ये एक स्वागत योग्य कदम है.न्यूनतम आय गारंटी स्कीम कोई जादू नहीं है.लेकिन ये पूरी कहानी को बदल सकता है. उन्होंने बताया कि इसकी कीमत भारत की जीडीपी का 1.3 फीसदी होगा.
न्याय योजना के लिए पैसा ऐसे आएगा
इनकम टैक्स कंप्लाएंस बढ़ाकर और देश के सबसे अमीर लोगों पर टैक्स लगाकर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. भारत की 0.1 फीसदी की आबादी करीब ढाई करोड़ से ज़्यादा की संपत्ति रखने वाले पर 2 फीसदी वार्षिक पूंजी कर लगाया जाए तो इससे जीडीपी का 1.1 फीसदी हिस्सा हासिल किया जा सकता है. और इस कराधान से भारत की 99.9 फीसदी आबादी पर कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा.भारत में सबसे अमीर वर्ग की बढ़ती आर्थिक क्षमता पर नज़र डालें तो भारत के 1 फीसदी लोगों की आय साल 1980 से 2019 के बीच छह फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी हुई है.
जैसा कि हम सब लोग जानते हैं. अगर हमारे देश में कुछ सुधार लाने की बात होती है. इसका तो सबसे पहले विरोध हमारे देश के लोग ही करते हैं. इस नया योजना का विरोध सबसे पहले हमारे देश के अर्थशास्त्रीयो ने ही किया था. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इससे अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखने को मिल सकता है. अर्थशास्त्रियों को चाहिए कि उन्हें अपना दिमाग इस बात पर लगाने की जरूरत है कि किस तरह इस न्याय योजना को लागू किया जाए. जिससे देश में गरीब और भूखे मर रहे लोगों की मदद हो पाए.यानी मतलब है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे|
अगर कांग्रेस सत्ता में आती है और इस स्कीम को लागू करती है तो भारत ऐसा पहला देश होगा जिसने गरीबी दूर करने के लिए इतना बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाया है|

