जैसे आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं, वैसे ही बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की आवश्यकता होती है। इन लोन को रेपो (रिपर्चेज ऑप्शन) कहा जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट तय करता है:
यह ब्याज दर है जिस पर RBI, बैंकों को लोन देता है। RBI, देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का उपयोग करता है।
रेपो रेट का प्रभाव:
- कम रेपो रेट:
- बैंकों को कम ब्याज पर लोन मिलता है।
- बैंक ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देते हैं।
- अर्थव्यवस्था में पैसा बढ़ता है।
- बढ़ी हुई रेपो रेट:
- बैंकों को अधिक ब्याज पर लोन मिलता है।
- बैंक ग्राहकों को अधिक ब्याज पर लोन देते हैं।
- अर्थव्यवस्था में पैसा कम होता है।
आम आदमी पर प्रभाव:
- कम रेपो रेट:
- लोन सस्ता होता है।
- लोग अधिक लोन लेते हैं।
- खर्च बढ़ता है।
- मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
- बढ़ी हुई रेपो रेट:
- लोन महंगा होता है।
- लोग कम लोन लेते हैं।
- खर्च कम होता है।
- मुद्रास्फीति कम हो सकती है।
निष्कर्ष:
रेपो रेट एक महत्वपूर्ण ब्याज दर है जो अर्थव्यवस्था और आम आदमी को प्रभावित करती है।
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