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किसी भी तत्व या पदार्थ का अति सूक्ष्मतम कण या मूल कण जो उस तत्व की रासायनिक अभिक्रिया में स्वतंत्र रूप से भाग लेता है। उस तत्व या पदार्थ का परमाणु कहलाता है। इसके अतिरिक्त परमाणु अविभाज्य होता है। लगभग 100 वर्ष पूर्व वैज्ञानिक डाल्टन के द्वारा परमाणु के संबंध में अविभाज्य होने का प्रमाण सिद्ध हुआ था। परंतु अब यह प्रमाण गलत साबित किया जा चुका है। परमाणु के संबंध में अब यह थ्योरी मानी जाती है कि परमाणु इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन व न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। इसके अलावा किसी भी तत्व या पदार्थ के मूल कण इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन होते हैं। किसी भी परमाणु के इलेक्ट्रॉन को ऋणात्मक आवेश के द्वारा दर्शाया जाता है। वही प्रोटोन को सदैव धनात्मक आवेश के द्वारा दर्शाया जाता है। लेकिन न्यूट्रॉन में कोई आवेश नहीं होता। परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है उतनी ही प्रोटोनो की संख्या होती है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन का द्रव्यमान भी एक समान ही होता है। वही इनकी तुलना में न्यूट्रॉन का द्रव्यमान नहीं होता है।
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तत्वों के सूक्ष्म कण परमाणु तथा यौगिकों के सूक्ष्म कण अणु कहलाते हैं। योगिक के अणुओं को उनके तत्वों के परमाणु में विभक्त किया जा सकता है।
ऑटो हानः
जर्मन वैज्ञानिक थे। इन्होंने ही परमाणु विखंडन पर सफलता प्राप्त की और परमाणु बम तैयार किया था। 1944 में इन्हें रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला था।
कणादः
कणाद एक भारतीय महर्षि थे। आज से सहस्त्रों वर्ष पूर्व आपने परमाणु को अति सूक्ष्म तथा अविभाज्य कण माना था। अपने ‘वैशेषिक दर्शन’ नामक श्रेष्ठ ग्रंथ की रचना की थी जिसमें परमाणु सिद्धांत (एटोमिक थ्योरी) का सुंदर वर्णन आया है। इसमें इन्हीं परमाणुओं के परस्पर संयुक्त होने से विश्व की उत्पत्ति होना तथा उसके पृथक अवस्था में होने से विश्व का प्रलय होना बताया गया है। बाद में डाल्टन (1803) में भी परमाणु को अति सूक्ष्म और अविभाज्य कण माना है।
बोहरः
बोहर ने परमाणु मॉडल की व्याख्या की थी। 1922 में परमाणु संरचना पर इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया तथा 1957 में परमाणु की ‘शांति के लिए उद्योग’ पर पुरस्कार मिला था।
टॉमसनः
जे.जे. टॉमसन ब्रिटिश वैज्ञानिक थे। टॉमसन ने कैथोड किरणों इलैक्ट्रॉन की खोज की और यह बताया कि वह परमाणु का बहुत छोटा भाग है।
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