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System Analyst (Wipro) | पोस्ट किया |


Good और Bad कोलेस्ट्रॉल में क्या अंतर होता है ?


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| पोस्ट किया


गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल प्रोटीन युक्त एक तत्व होता है जिसे लिपोप्रोटीन के नाम से जाना जाता है जब लिपॉप्रोटीन में फैट की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है इसे हम गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन का यह स्तर हार्ट के लिए फायदेमंद होता है इससे हार्ट संबंधी बीमारियां होने का बहुत कम खतरा होता है इसलिए इसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।

बैड कोलेस्ट्रॉल(LDL) बैड कोलेस्ट्रॉल को हम लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन भी कहते हैं इस अवस्था में लिपॉप्रोटीन मे प्रोटीन की जगह फैट से अधिक होती है इस स्थिति में हार्ट से संबंधित बीमारियां होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसलिए इसे हम बैड कोलेस्ट्रोल कहते हैं।Letsdiskuss


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Fitness trainer,Fitness Academy | पोस्ट किया


इस बात से तो हम सभी वाकिफ है की हमें कोलेस्ट्रॉल देखने में भले ही एक आम बीमारी जैसी लगती है लेकिन वक़्त रहते अगर इसका इलाज न हुआतो यह घातक बीमारियों में से एक बन सकती है | कोलेस्‍ट्रॉल एक प्रकार का लुब्रीकेंट है, जो ब्‍लड सेल्‍स में पाया जाता है। हार्मोंस के निर्माण, शरीर में कोशिकाओं को स्वस्थ और ठीक रखने का काम करता है। गलत लाइफस्टाइल के चलते आजकल लोगों में हाई कोलेस्ट्राल की समस्या काफी देखने को मिल रही है। अगर उसे समय पर कंट्रोल ना किया जाए तो यह दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकती है।


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सबसे पहले तो आप यह जान लें कि कोलेस्ट्रॉल, शरीर के अंदर जमा वसा (चर्बी) जैसा पद्धार्थ होता है, जो कोशिकाओं को उर्जा प्रदान करता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं, गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) और बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL)। शरीर में दोनों कोलेस्ट्राल की मात्रा ही बैलेंस होनी जरूरी है नहीं तो दिल की बीमारियों का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।


- गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL)
गुड कोलेस्ट्राल (हाई डेन्‍सिटी लाइपो प्रोटीन्‍स) में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और खून में 25-20% हिस्सा HDL का होता है। खून में इसकी सही मात्रा होना बहुत जरूरी है क्योंकि यह हार्ट अटैक से बचाने का काम करता है। यह धमनियों से बैड कोलेस्ट्रोल को हटाने में मदद करता है जिससे वे ब्लॉक न हो पाएं।


- बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL)
बैड कोलेस्ट्रोल यानि लो डेन्‍सिटी लाइपो प्रोटीन्‍स में प्रोटीन के साथ फैट की मात्रा भी अधिक होती है इसलिए इसका हाई लेवल हानिकारक हो सकता है। खून में इसकी मात्रा बढ़ने से दिल व दिमाग की धमनियां ब्लॉक हो जाती है। इससे हार्ट अटैक, धमनियों में रुकावट या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।



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