हर व्यक्ति हमेशा सही और सटीक काम करना पसंद करता हैं, लेकिन ज्यादातर देखा जाता हैं की प्रतिभाशाली लोग बहुत मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें उसका सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पता हैं, और कई बार ऐसा होता हैं की एक इंसान बिना परिणाम सोचे समझे केवल अपना काम करता हैं और उसे उसका परिणाम बहुत संतुस्ट और सकारात्मक मिलता हैं, आपने कभी सोचा हैं ऐसा क्यों होता हैं इन दोनों कामो में क्या अंतर हैं, इन दोनों कामो को दो हिस्से में बाटा जा सकता हैं| जिसे हम स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क कह सकते हैं|
कभी भी किसी व्यक्ति के सफलता को इन्ही दो पलड़ो पर जांचा जाता हैं, जैसे कहा जाता हैं जो दिमाग के तेज़ व्यक्ति होते हैं वह हमेशा स्मार्ट वर्क की तरफ ध्यान देते हैं और जो व्यक्ति बिना किसी परिणाम के बस सफलता चाहते हैं वह लोग हमेशा हार्ड वर्क करते हैं|
आपको स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क को समझाने के लिए एक छोटी सी कहानी बताते हैं, एक बार एक जंगल में कुछ लोग लकड़ियाँ काटने का काम कर रहे थे, जिनमें से आधे लोग युवा थे, और आधे लोग अनुभवी थे और वह सभी लोग दिन में एक साथ एक समय पर काम करते थे लेकिन अनुभवी लोग उसी समय में बहुत ज्यादा पेड़ काटते थे , और युवा पीड़ी उतने ही समय में कठिन परिश्रम के बाद भी उतने पेड़ नहीं काट पाते थे, इसलिए एक दिन सभी युवा अनुभवी लोगो के पास गए और यह सवाल किया की ऐसा क्यों होता हैं, तो सभी अनुभवी लोगो ने बताया की आप लोग पूरा समय कठिन परिश्रम कर के सिर्फ पेड़ो की कटाई करते हैं, जिससे आपका औज़ार भी थक जाता हैं लेकिन हम समय समय पर दिन में अपना औज़ार तेज़ करते रहते हैं, जिससे औज़ार की तेज़ी से पेड़ जल्दी और ज्यादा कट सकें|
सीख - हमेशा कड़ी मेहनत के साथ साथ दिमाग का भी पूरा पूरा इस्तेमाल करना चाहिए, इसे हार्ड वर्क के साथ साथ स्मार्ट वर्क कहते हैं|
इसलिए हमेशा हर व्यक्ति को हार्ड वर्क के साथ साथ स्मार्ट वर्क भी करना चाहिए, ताकि सफलता के पथ पर आगे बढना है तो हमे कठिन मेहनत के साथ दिमाग का भी उपयोग करना चाहिए की कैसे हम अपने सभीकार्यो को ऐसे करें की वह आसानी से सही तरीके से हो जाएँ|