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शब्द "कृपा", "कृपया" और "कृप्या" में क्या अंतर है?
हिंदी भाषा में एक ही शब्द के अलग-अलग अर्थ होते हैं, तो कई बार वे शब्द अलग अलग प्रकार से भी लिखे जाते हैं। तब भी उनके अर्थ अलग-अलग हो सकते हैं, तो वहीं कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं। जिनके लेखन में त्रुटि होती है। लेकिन हम अमूमन उन शब्दों को हमारे लेखन में प्रयोग करते हैं। कुछ ऐसे ही शब्द है कृपया, कृप्या और कृपा-
कृपया(Kripaa):- जब हम किसी व्यक्ति से अपने किसी काम को कराने के लिए अनुरोध करते हैं तब इस शब्द कृपया का प्रयोग किया जाता है। कृपया शब्द यह दर्शाता है कि हम किसी व्यक्ति से पोलाइट रिक्वेस्ट कर रहे हैं। यह अंग्रेजी के प्लीज शब्द की याचना करता है। इस शब्द को वाक्य में से हटा लेने पर पूरे वाक्य का ही अर्थ बदल जाता है।
जैसे- 'कृपया पानी लाइए' इसमें सविनय निवेदन की भावना उत्पन्न हो रही है । तो वही दूसरे वाक्य जैसे- 'पानी लाइए' में आग्रह की भावना उत्पन्न हो रही है। इस प्रकार से इस शब्द का प्रयोग वाक्य में करने से वाक्य का पूरा अर्थ ही बदल जाता है।
कृपा (Kripaa): इस शब्द कृपा को अंग्रेजी भाषा में Grace कहा जाता है। इस शब्द का प्रयोग वहां किया जाता है। जहां किसी से उपकार करने का निवेदन करना हो। इसके अतिरिक्त जब दया की भावना उत्पन्न हो तब भी इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
कृप्या : यह हिंदी भाषा में कोई शब्द नहीं है यह भाषा के लेखन में त्रुटि है। इस शब्द को हम कभी-कभी कृपया के स्थान पर प्रयोग करते हैं। लेकिन यह गलत है। हिंदी भाषा में ऐसा कोई शब्द ही नहीं होता है। हिंदी भाषा में इसके अलावा ऐसे ही बहुत सारे शब्द हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं होता है और उनका प्रयोग करना भाषा में त्रुटि उत्पन्न करता है ।
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