जैसा के सभी जानते है शेयर बाजार एक खेल है, जो बहुत ही खतरनाक है | इस खेल को खेलने से पहले इसके बारे में जितना अधिक हो सके जानकारी लेना जरुरी होता है | शेयर मार्किट में पैसा लगाने के लिए कोई खास योग्यता की जरूरत नहीं है | बस जानकारी पूरी होनी चाहिए के अगर आप पैसा निवेश कर रहे है तो यह कितना सही है और कितना गलत | निवेश करना सही है या नहीं | इन सब के बाद ही पैसा निवेश करना सही होता है |
आपका सवाल के अनुसार आप अंकित मूल्य और बही मूल्य के बारे मे जानना चाहते है | तो हम आपको बताते है के अंकित मूल्य अर्थात face value और बही मूल्य अर्थात Book value क्या है |
अंकित मूल्य :-
अंकित मूल्य शेयर की वास्तविक कीमत होती है जो कि शेयर प्रमाण पात्र पर अंकित रहती है | यदि कंपनी की कुल शेयर पूँजी दो करोड़ रुपये है और वह दस रुपये प्रति शेयर के बीस लाख शेयर जारी करती है तो दस रुपये कंपनी के शेयर की फेस वैल्यू यानी अंकित मूल्य होगी | अब यदि कंपनी का शेयर बाजार में सूचित (Listed )होने के बाद मांग बढ़ने के कारण शेयर बाजार में बढ़ कर रुपये 15 हो जाता है तो अब इसे प्रीमियम वैल्यू कहेंगे | और यदि शेयर की बाजार कीमत घट कर आठ रुपये रह जाती है तो इसे डिस्काउंट वैल्यू कहेंगे | दस रुपये के शेयर की कीमत यदि बाजार में भी दस रुपये ही है तो इसे एट पार कहेंगे |
बुक मूल्य :-
यह समझ लेना भी बहुत आवश्यक है कि किसी शेयर की बुक वैल्यू क्या है | कह सकते हैं कि शेयर की वास्तविक वैल्यू या मूल्य उसका फेस वैल्यू ना हो कर उसका बुक वैल्यू है | शेयर खरीदने से पहले शेयर के बाजार भाव की तुलना उसकी बुक वैल्यू से अवश्य करनी चाहिए | आम तौर पर बड़ी बुक वैल्यू को कंपनी के अच्छे आर्थिक सेहत की निशानी माना जाता है | बुक वैल्यू वास्तव में कंपनी के खातों में वह वैल्यू है जो की किसी कंपनी को यदि बेचा जाए तो उसकी संपत्तियों से देनदारियां घटा कर प्रति शेयर कितना भुगतान प्राप्त होगा | किसी शेयर की बुक वैल्यू उसकी शेयर कैपिटल और जनरल रिज़र्व के जोड़ को कुल शेयरों की संख्या से विभाजित करके भी प्राप्त किया जा सकता है |
आज हम बताते है कि म्यूचुअल फण्ड कितने प्रकार के होते हैं और इनकी कौन कौन सी श्रेणियां होती हैं |इससे पहले ये जानना जरुरी है
म्यूच्यूअल फण्ड है क्या ?
निवेशकों (Investors ) की एक बड़ी संख्या के द्वारा जमा राशी को म्यूचुअल फंड कहते हैं इसमे जमा राशि को एक फण्ड में डाल दिया जाता है। फण्ड मेनेजर इस जमा राशि को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए अपने निवेश प्रबंधन (Invest managment ) कौशल का सही उपयोग करता है | म्यूचुअल फंड कई तरह से निवेश करता है जिससे उसका रिस्क और रिटर्न निर्धारित होता है | जब बहुत से निवेशक(Investors ) मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट Unit कहते हैं |
म्यूच्यूअल फण्ड दो प्रकार का होता है :-
ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड
क्लोज्ड एंडेड म्युचुअल फंड
1 - ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड:-
इस योजनाअवधि के दौरान किसी भी समय निवेशक यूनिट्स को खरीद या बेच सकता है | इसकी कोई निश्चित मैच्योरिटी तिथि नहीं होती | आप अपनी आवश्यकतानुसार अपने निवेश को वापस ले सकते है | कुछ ओपन एंडेड फंड्स में लॉक कुछ समय अवधि तक रहता है | तब तक आप अपना निवेश वापस नहीं ले सकते | ओपन एंडेड फंड्स की भी अपनी कुछ श्रेणी है |
-ऋण निधि
-लिक्विड फंड
-इक्विटी फंड
-संतुलित निधि
2. क्लोज्ड एंडेड म्युचुअल फंड :-
इस योजना में केवल योजना की शुरुआत में जब NFO ( New Fund Offer ) जारी किया जाता है तभी निवेश कर सकते हैं | क्लोज्ड एंडेड योजना में एक मैच्योरिटी तिथि पहले से निर्धारित होती है | मैच्योरिटी तिथि से पहले क्लोज्ड एंडेड योजना से बाहर नहीं निकला जा सकता इसलिए कह सकते हैं कि क्लोज्ड एंडेड योजना में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता नहीं होती है | क्लोज्ड एंडेड योजनाओं में मुख्य रूप से दो तरह के फण्ड होते हैं |
-पूंजी संरक्षण निधि
-निश्चित परिपक्वता