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भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य विचारों या भावो को बोलकर या लिखकर व्यक्त करता है, वह भाषा कहलाता है।
भाषाए तीन प्रकार की होती है :-
1.लिखित भाषा
2. मौखिक भाषा
3. सांकेतिक भाषा
1.लिखित भाषा:-
लिखित भाषा वह होती है जिसमे कोई अपने विचारों का आदान -प्रदान लिखित तौर पर करता है, उसे लिखित भाषा कहते है।
2. मौखिक भाषा :-
मौखिक भाषा वह भाषा होती है, जिसमे कोई व्यक्ति अपने विचारों को बोलकर दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाता है वह मौखिक भाषा कहलाता है।
3. सांकेतिक भाषा :-
सांकेतिक भाषा वह भाषा होती है, जिसमे इशारे के द्वारा एक -दूसरे से बात की जाती है, उसे सांकेतिक भाषा कहते है।
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आइए आज हम आपको बताते हैं कि भाषा किसे कहते हैं? तो भाषा उसे कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य लिखकर, पढ़कर, बोलकर, या सुनकर अपने मन के भावों या विचारों का आदान प्रदान करता है जिसे हम भाषा कहते हैं।
भाषा तीन प्रकार की होती हैं :-
मौखिक भाषा
लिखित भाषा
सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा:- मौखिक भाषा उसे कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर अपने विचारों को प्रकट करता है उसे हम मौखिक भाषा कहते हैं।
लिखित भाषा:- लिखित भाषा उसे कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को लिख कर दूसरों के सामने प्रकट करता है उसे हम लिखित भाषा कहते हैं।
सांकेतिक भाषा:- सांकेतिक भाषा उसे कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को संकेत करके दूसरों के सामने प्रकट करते हैं उसे हम सांकेतिक भाषा कहते हैं।
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दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि भाषा किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार की होती है भाषा में साधन और माध्यम होती है जो सामान्य जीवन में लोग एक दूसरे से बात करने के लिए वार्तालाप करते हैं जैसे कि लिखित रूप से मौखिक रूप से या फिर बोल कर जो भी बातें करते हैं वही भाषा कहलाती है या सीधे शब्दों में कहें तो जिस माध्यम से मनोभावों को व्यक्त करते हैं वही भाषा है।
भाषा के तीन प्रकार होते हैं
• मौखिक भाषा।
• लिखित भाषा।
•संकेतिक भाषा।
मौखिक भाषा-
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में मिलकर जिस भाषा से अपने मनोभाव को प्रकट करते हैं वह मौखिक भाषा कहलाती है।
लिखित भाषा-
जब कोई व्यक्ति अपने मनोभावों को लिखित माध्यम यानी अक्षरों के माध्यम से अपने मनोभाव को प्रकट करता है वही लिखित भाषा कहलाती है।
संकेतिक भाषा-
जब कोई व्यक्ति अपने मनोभावों को वह संकेत के माध्यम से प्रकट करते हैं वह भाषा संकेतिक भाषा कहलाती है।
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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया
भाषा व्यक्ति के विचारों और भावों को प्रकट करने का एक साधन होती है। जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मन की बात किसी दूसरे से कह सकता है। यह भाषा लिखित या मौखिक हो सकती है जिसको व्यक्ति लिखकर या बोलकर बताता है।
भाषा के प्रकार:- लिखित भाषा, मौखिक भाषा, संकेतिक भाषा।
लिखित भाषा में भाषा होती है जिसमें व्यक्ति किसी कागज में लिखकर किसी दूसरे को देता है और अपनी बात कहता है।
मौखिक भाषा में वह भाषा होती है जिसमें व्यक्ति एक दूसरे के आमने सामने खड़े होकर बात करते हैं।
संकेतिक भाषा वह भाषा होती है जिसमें व्यक्ति कुछ इशारों इशारों में ही अपनी बात को कह देते हैं।
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भाषा : जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को लिखकर और बोल कर व्यक्त करता है, उसे भाषा कहते है।
भाषा तीन प्रकार की होती हैं।
मौखिक भाषा
लिखित भाषा
संकेतिक भाषा
मौखिक भाषा: मौखिक भाषा वह भाषा होती है जिसमें कोई व्यक्ति अपने विचारों को बोलकर दूसरे वक्त तक पहुंचाता है वह मौखिक भाषा कहलाती है।
लिखित भाषा: लिखित भाषा उसे कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को लिखकर दूसरों के सामने प्रकट करता है लिखित भाषा कहलाती है।
संकेतिक भाषा: संकेतिक भाषा में भाषा होती है जिसने इशारों के द्वारा एक दूसरे से बात की जाती है उसे संकेतिक भाषा कहते हैं।
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आइए अब आपको बहुत सरल ढंग से बताते है, भाष किसे कहते है। किताबी भाष की तरह नहीं बल्कि समझ में आने वाले तरीके से बताने जा रहे हैं—
जब कोई बात कहनी हो बताना हो, मन के विचार बताना हो तो इसे बोलकर या लिखकर कहा जाता है। बोलने और लिखने का तरीका भाषा कहलता है। इस आर्टिकल को जिस भाषा मे आप पढ़ रहे हैं, ये हिन्दी भाषा का रूप है। ये देवनागरी लिपि में लिख गया है। ये भाषा का लिखित रूप है।
भाषा के तीन रूप होते हैं— मौखिक भाषा, जब हम बोलकर अपनी बात कहते हैं तो वह मौखिक भाष कहते हैं। भाषण बोलना और सुनना मौखिक भाषा उदाहरा है।
भाष का दूसरा रूप लिखित होता हैं, जब अपने विचार लिखित रूप में व्यक्त करते हैं तो इसे लिखित भाषा कहते हैं— इसके लिए भाषा के ध्वनि का लिखित रूप यानि अल्फाबेट या वर्ण होना जरूरी है और व्याकरण के नियम। अखबार में जब संपादक लिखता है तो ये भाषा का लिखित रूप है।
भाष का तीसरा रूप— सांकेतिक रूप होता है, इसका ज्यादा महत्व भाषा में नही होता है। इसका उदाहरण ट्रेफिक पुलिसमैन का यातायात को संचालित करने के लिए हाथ उठाकर जो संकेत करना, भाषा का सांकेतिक रूप कहलाता है।
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