प्रजातंत्र का क्या अर्थ है?

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| Updated on March 29, 2020 | Education

प्रजातंत्र का क्या अर्थ है?

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@praveshchauhan8494 | Posted on March 29, 2020

प्रजातंत्र का सीधा साधा अर्थ है प्रजा तंत्र, मतलब प्रजा द्वारा बनाया गया या चुना गया ऐसा तंत्र जो प्रजा के लिए शासन व्यवस्था लागू करता है. इस तंत्र में किसी विशेष व्यक्ति या दल का कोई विशेष अधिकार नहीं होता है. इस व्यवस्था में जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यीय दल जनता के लिए शासन चलाते हैं.
इस प्रकार, प्रजातन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों का निष्पक्ष चुनाव करती है तथा गर्व के साथ अपने अधिकारों के साथ जीती है
हमारे देश में भी कई प्रजातन्त्र से सम्बद्ध चुनौतियाँ हैं तथापि यह तमाम चुनौतियों से संघर्ष करते हुए अपनी प्रजातांत्रिक व्यवस्था को गर्विष्ठ करता आया है.
वैसे तो प्रजा के द्वारा, प्रजा के लिए प्रजा के सहसा को प्रजातंत्र कहा जाता है, लेकिन हमारे माननीय नेता आज इस परिभाषा को बिलकुल भूल चुके हैं. वे इस अर्थ से बिलकुल भटक चुके हैं और मनमानी करने लगे हैं.
जनता सरकार से सवाल पूछने से भी डरने लगी है ऐसा लगता है जैसे प्रधानमंत्री आसमान से सीधा स्पेशल ही प्रधानमंत्री बनने आए हैं. लोगों को अपनी अहमियत समझनी चाहिए क्योंकि भारत एक प्रजातंत्र देश है प्रजा ही प्रधानमंत्री का चुनाव करती है. इसलिए देश में प्रजा से बढ़कर कोई नहीं है
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@visaltyagi5856 | Posted on March 30, 2020

शब्द व्युत्पत्ति के आधार पर प्रजातंत्र आंगल भाषा के डेमोक्रेसी का हिंदी रूपांतरण है। डेमोक्रेसी, दो यूनानी शब्दों के जोड़ से बना है - डेमोस तथा क्रेशिया। डेमोस का अर्थ “लोग” तथा क्रेशिया का अर्थ “सरकार” है। इस प्रकार प्रजातंत्र का 'लोगो का शासन' है।

कई राजनीतिज्ञो ने प्रजातंत्र की परिभाषा को अपने शब्दो में बताया है। जैसे - ब्राईस , सीले, अब्राहम लिंकन इत्यादि। यहां पर हम अब्राहम लिंकन की परिभाषा को बताने जा रहे हैं -

अब्राहम लिंकन - “लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए, जनता का शासन है। “

अब्राहम का कहना है कि ‘लोकतांन्त्रिक आदर्श में यह धारणा सन्निहित है कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है जो कार्य करने के सिद्धान्तों का निर्णय करने और अपनी निजी इच्छाओं को उन सिद्धान्तों के अधीनस्थ बनाए रखने में समर्थ है। वास्तव में यह धारणा अपने आप में बड़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि व्यक्ति विवेक की पुकार नहीं सुनेंगे तो लोकतंत्र एक स्थायी शासन प्रणाली कभी नहीं बन सकेगी।

लोकतंत्र में हर व्यक्ति को राजनीतिक स्वतंत्रता रहती है। वह अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी दल का सदस्य बन सकता है तथा किसी भी व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित करने के लिए मत दे सकता है। राजनीतिक स्वतंत्रता की व्यावहारिकता ही प्रतियोगी राजनीति कही जाती है। राजनीतिक व्यवस्था में प्रतियोगी राजनीतिक के लिए यह आवश्यक है कि अनेक संगठन, दल व समूह, प्रतियोगी रूप में उस व्यवस्था में सक्रिय रहें।


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