विद्या ददाति विनयम का क्या अर्थ है,ये हम...

| Updated on July 6, 2023 | Education

विद्या ददाति विनयम का क्या अर्थ है,ये हमारे जीवन मे किस तरह उपयोगी है?

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Awni rai

@awnirai3529 | Posted on April 15, 2020

यह संस्कृत श्लोक कितना प्रासंगिक है? "विद्या ददाति विनयम्, विनय ददाति पतिराम, पितृत्वं धनम् अनाप्नोति, तत धनं तत सुखम्"। (शिक्षा एक विनम्र बनाती है, विनम्रता किसी को सक्षम बनाती है, क्षमता व्यक्ति को पैसा बनाने की अनुमति देती है, पैसा खुशी लाता है)
विद्या का आज क्या अर्थ है, इसकी हम पूरी व्याख्या करते हैं। विद्या शिक्षा का अनुवाद नहीं है।
यत कर्म तन न बन्दाया [कर्म क्या है - जिससे बंधन नहीं होता]
[विद्या वह है जो मोक्षम देती है]
हिंदू धर्म में 18 विद्या चरण हैं। केवल इस विद्या को विद्या कहा जाता है। बाकी को अविद्या कहा जाता है।
यहाँ अविद्या का अर्थ माया नहीं है। अविद्या सरल का अर्थ है अपरा विद्या।
अब विद्या के इस अर्थ के दृष्टिकोण से श्लोक को देखें। यह बहुत समझ में आएगा। जो मोक्ष प्राप्त करने के लिए शिक्षित होता है, वह शिक्षा एक विनम्रता देगा

ज्ञान अनुशासन देता है, अनुशासन से योग्यता आती है, योग्यता से व्यक्ति को धन मिलता है, धन से (एक करता है) अच्छे कर्म, उसी से (आनंद) मिलता है।

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@krishnapatel8792 | Posted on July 6, 2023

विद्या ददाति विनयम यह एक संस्कृत भाषा का एक श्लोक है जिसका अर्थ क्या है आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे विद्या ददाति विनयम का अर्थ होता है मनुष्य को सदा सर्वश्रेष्ठ कार्य करना चाहिए क्योंकि इससे सुख की प्राप्ति होती है और इसके मूल में यह है कि मनुष्य को ज्ञानवान होने की महती आवश्यकता है। इसलिए कहते हैं कि हर मनुष्य को अपने जीवन में विद्या की प्राप्ति अवश्य करनी चाहिए क्योंकि विद्या के द्वारा ही हमारा जीवन ऊंचाइयों को छूता है। तथा मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा विद्या के द्वारा ही मिलती है।

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