अपने आप को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश मानने वाला अमेरिका से जो टकराया है वह हमेशा ही बैकफुट पर आया है. ईरान कच्चे तेल के लिए जाना जाता है मगर वायरस की वजह से आज की स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि उसको 1 डॉलर के बदले 1.70 लाख रियाल देने पड़ रहे है. कोरोना वायरस के संकट की वजह से तेल की कम हुई खपत और अमेरिकी प्रतिबंधों ने मिलकर ईरान की मुद्रा की हालत पस्त कर दी है. ईरान का रियाल डॉलर के आगे कमजोर होने का खुलासा वेबसाइट बॉनबास्ट.कॉम के मुताबिक, एक अमेरिकी डॉलर के बदले 1,70,000 रियाल देने पड़ रहे हैं. मगर ईरान के केंद्रीय बैंक की वेबसाइट ने रियाल की इज्जत बचाते हुए कहां है आधिकारिक बाजार में एक डॉलर की कीमत 42,000 रियाल है.
बताया जा रहा है कि मई 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने के लिए बहुपक्षीय परमाणु डील को रद्द कर दिया था और ईरान पर कड़े प्रतिबंध थोप दिए थे. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान को दूसरे देशों को अपना तेल बेचना मुश्किल हो गया. ईरान के तेल के प्रमुख आयातक देश भारत ने भी उससे तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया. जिस वजह से ईरान को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
अमेरिकी प्रतिबंधों ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने की उसकी कोशिशों को बेहद नुकसान पहुंचाया है. 2018 में ईरान की कमजोर अर्थव्यवस्था, स्थानीय बैंकों की वित्तीय समस्याएं और ईरानियों के बीच डॉलर की भारी मांग के चलते रियाल की कीमत में 70 फीसदी तक की गिरावट हुई थी. उस वक्त लोगों को डर सताने लगा था कि अमेरिका के न्यूक्लियर डील से बाहर होने और उसके प्रतिबंधों लागू करने की वजह से ईरान के तेल व अन्य सामानों का निर्यात मुश्किल में पड़ जाएगा. इस वजह से ईरान में डॉलर की मांग और बढ़ गई थी.
यहां तक कि ईरान के उप-राष्ट्रपति एशाक जहांगीरी का मानना है अमेरिकी प्रतिबंध, की वजह से ईरान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है कोरोना वायरस की महामारी, तेल की कीमतों में गिरावट और वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है.
