सिद्धार्थ गौतम राजा सुद्धोधन और महामाया के पुत्र थे | उनकी माता उनके जन्म के सातवे दिन ही इस दुनिया को छोड़ कर चली गई | सिद्धार्थ का पालन पोषण दासियो द्वारा किया गया | उनके जन्म के समय एक ज्योतिषी ने कह दिया था की यह बालक आगे चलकर या तो एक पराक्रमी सम्राट बनेगा या फिर एक महान संत |
ऐसा सुनकर राजा सुद्धोधन ने यह निर्णय लिया की वह राजकुमार को कभी दुखी और शोक में नहीं आने देंगे | इसलिए उन्होंने सिद्धार्थ को राजमहल के सुख सुविधाओं में लगाए रखा, और जल्द ही उनके पिता ने उनका विवाह एक बहुत सुन्दर कन्या यशोधरा से कर दिया |
एक साल बाद उनके यहाँ पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम उन्होंने राहुल रखा |
राजमहल के इतने वैभव होने के बाद भी सिद्धार्थ का मन विचलित रहने लगा,और उन्होंने राजसी जीवन छोड़ने का मन बना लिया | उनका पुत्र मात्र 7 दिन का था और उसी दिन वह किसी को बिना बताए घर छोड़कर चल दिए | राजमहल छोड़ने से पहले सिद्धार्थ एक बार अपनी पत्नी से मिलने गए परन्तु उस समय यशोधरा सो रही थी | गौतम अपने मन को पक्का करके , पत्नी और पुत्र को छोड़कर जंगल की तरफ चल दिए |
कई वर्षो तक कड़ी तपश्या करने से उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया परन्तु उन्हें फिर भी शांति नहीं मिली | फिर उन्होंने मन की शांति के लिए निष्कर्ष निकाला की संसार में जयंती भी परेशानिया है उन सभी पर विचार किया जाए,और इस मार्ग पर चलने से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई | उन्हें यह ज्ञान गया के पास बरगद के पेड़ के नीचे मिला उस पेड़ का नाम बोधि वृक्ष तह इसलिए उनका नाम बुद्ध पढ़ गया,और इसलिए सिद्धार्थ को गौतम बुद्ध नाम से जाना जाता है |