जो जवाब सिद्धार्थ जी ने नीचे दिया है वो बहुत सही है। काकोरी की विशेषता ये है कि इसने आधुनिक भारत की नींव रखने वाले नौजवानों का एक ऐसा दल बनाया, जो राष्ट्रीय सोच से ओतप्रोत था। जो इनकलाब के नाम पर बेगुनाहों का खून बहाना सबसे बड़ा अपराध मानता था। ये नौजवानों का वो दल था, जिसमें हर धर्म और सोच के लोग थे, लेकिन जो फैसला होने पर उसपर अमल करते थे। जिनमें मैं की भावना नहीं, हम की भावना काम करती थी। ये वो लोग थे, जो आधुनिक शिक्षा की दृष्टि से काफी पढे लिखे भी थे, और नैतिक शिक्षा की दृष्टि से भी।
तभी अशफाक उल्ला के स्तर का उदाहरण आसानी से दोबारा नहीं मिलता। न भगत सिंह का, चंद्रशेखर आजाद का। देश के हर प्रांत में नौजवान क्रांतिकारियों ने इसी सोच के अनुसार काम किया था। ये घटना ऐसी पहली घटना थी, जिसने देशभर के क्रांतिकारियों को एक दूसरे से परिचत कराया और यहीं से राष्ट्रीय स्तर पर हिंसा और अहिंसा के बीच की महीन रेखा स्पष्ट हुई। अगर ध्यान से देखें तो ये वो घटना है जो भारत के एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में उभरने की प्रतीक है।