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वैशाख अमावस्या क़े दिन ब्रह्म मुहूर्त के अनुसार किसी नदी क़े किनारे या फिर घर में ही गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए तथा दोपहर क़े समय पितृ पूजन जरूर करना चाहिए। शाम क़े समय पीपल के पेड़ क़े नीचे तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करने से जीवन क़े सभी कष्ट दूर हो जाते है।
वैशाख अमावस्या क़े दिन पितरों के नाम पर जल चढ़ाना चाहिए और वस्त्र, अनाज , फल-फूल तथा सफेद वस्त्र, बर्तन तथा सोना, चांदी आदि चीजों का दान करने से पूर्वजों की आत्मा क़ो शांति मिलती है और पितृ दोष दूर होता है।दान हमेशा निस्वार्थ भावना से करना चाहिए, गरीबो क़ो कभी भी सड़ा -गला भोजन न खिलाये और फटे -पुराने कपड़े दान न करे।
वैशाख अमावस्या क़े दिन शिव मंदिर में जाकर तांबे का नाग जरूर चढ़ाएं।इसके बाद मंदिर में बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करे और शिवजी से सामने हाथ जोड़कर कालसर्प दोष मुक्ति पाने क़े लिए विनती करें, इससे कालसर्प दोष की समस्या हमेशा क़े लिए खत्म हो जाएगी और जीवन में घटित होने वाली सभी दुघटनाओ से मुक्ति मिल जाएगी।
वैशाख अमावस्या क़े दिन तुलसी, पीपल न थोड़े क्योंकि तुलसी में माँ लक्ष्मी वास करती है इसलिए कभी भी वैशाख़ अमावस्या क़े दिन तुलसी न थोड़े क्योंकि तुलसी तोड़ने से माँ लक्ष्मी क्रोधित होती है और घर में धन की हानि होती है। घर में पेसो की आर्थिक तंगी आती है।
वैशाख अमावस्या क़े दिन किसी बुजुर्ग की और जरूरतमंद आदमी क़ो परेशान न करे बल्कि जरुरतमंद व्यक्ति की मदद करने से पुण्य होता है। साथ ही वैशाख अमावस्या क़े दिन पशु -पक्षी क़ो तंग नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि आप पशु -पक्षी क़ो तंग करते है तो वह आपको श्राप देंगे और आपके घर में लड़ाई -झगड़े बढ़ेगे और घर की सुख -शांति भंग हो जाती इसलिए वैशाख अमावस्या क़े दिन पक्षियों तथा बुजुर्गो क़ो परेशान न करे।
वैशाख अमावस्या क़े दिन मांस, मछली तथा अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि वैशाख अमावस्या का दिन पितृरो क़ो याद करने का दिन होता है इसलिए इस दिन आप मांस खाते है तो आपसे पितृ देव नाराज हो जाएंगे और आपको बहुत सी दिक्क़तो का सामना करना पड़ सकता है इसलिए वैशाख़ अमावस्या क़े दिन मांस, मछली खाने से बचे।
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