झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को वीरांगना कहा गया है। अंग्रेजो के खिलाफ रानी लक्ष्मी बाई मे अपनी आखिरी सांस तक युध्य किया।
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 मे काशी मे हुआ था उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था और प्यार से उन्हे मनु पुकारा जाता था ।
रानी लक्ष्मी बाई की माता भागीरथि सापरे का निधन बहुत जल्दी हो गया था उनके पिता मोरोपंत तांबे ने ही उनका पालन पोषण किया।
रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही साहसी, बुद्धिमान और पराक्रमि थी। उन्हे शास्त्रो का बहुत ज्ञान था। वह घुड़सवारी मे भी पारंगत थी।
रानी लक्ष्मी बाई का विवाह गंगाधर राव नेवालकर से हुआ था। लेकिन विवाह के दो वर्ष पश्चात ही बीमारी के कारण गंगाधर का निधन हो गया था। उनसे उनको एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम उन्होंने दामोदर राव रखा लेकिन 4 महीने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया जिसका नाम उन्होंने आनंद राव रखा लेकिन बाद में उसका नाम भी उन्होंने दामोदर ही रख दिया।
पति की मृत्यु के समय लक्ष्मी बाई की आयु केवल 25 वर्ष ही थी। इतनी कम उम्र मे ही उन्होंने सारी जिम्मेदारियों को संभाल लिया था। 29 वर्ष की आयु मे उन्होंने अंग्रेजो से लड़ते समय वीरगति को प्राप्त कर लिया था।
यह लडाई उन्होंने अंग्रेजो से झांसी को बचाने के लिए लडी थी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनकी सेना पर अपना अधिकार कर लिया था ।
रानी लक्ष्मीबाई के पास तीन घोड़े थे जिनका नाम सारंग, बादल और पवन था।
अंग्रेजो से युध्य के समय लक्ष्मी बाई बादल पर सवार थी।
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी अंतिम सांस तक युध्य किया था लेकिन अत्यधिक खून बह जाने की वजह से वह ज्यादा समय जीवित नही रह सकी और अपनी साँसे त्याग दी।
उनका अंतिम संस्कार ब्रिटिश जनरल ह्युरोज ने किया था।
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