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झांसी की रानी के घोड़े का क्या नाम था ?

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Anushka

| Updated on February 28, 2024 | news-current-topics

झांसी की रानी के घोड़े का क्या नाम था ?

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@komalsolanki9433 | Posted on February 21, 2024

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को वीरांगना कहा गया है। अंग्रेजो के खिलाफ रानी लक्ष्मी बाई मे अपनी आखिरी सांस तक युध्य किया। 

रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 मे काशी मे हुआ था उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था और प्यार से उन्हे मनु पुकारा जाता था । 

रानी लक्ष्मी बाई की माता भागीरथि सापरे का निधन बहुत जल्दी हो गया था उनके पिता मोरोपंत तांबे ने ही उनका पालन पोषण किया। 

रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही साहसी, बुद्धिमान और पराक्रमि थी। उन्हे शास्त्रो का बहुत ज्ञान था। वह घुड़सवारी मे भी पारंगत थी। 

रानी लक्ष्मी बाई का विवाह गंगाधर राव नेवालकर से हुआ था। लेकिन विवाह के दो वर्ष पश्चात ही बीमारी के कारण गंगाधर का निधन हो गया था। उनसे उनको एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम उन्होंने दामोदर राव रखा लेकिन 4 महीने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया जिसका नाम उन्होंने आनंद राव रखा लेकिन बाद में उसका नाम भी उन्होंने दामोदर ही रख दिया।

पति की मृत्यु के समय लक्ष्मी बाई की आयु केवल 25 वर्ष ही थी। इतनी कम उम्र मे ही उन्होंने सारी जिम्मेदारियों को संभाल लिया था। 29 वर्ष की आयु मे उन्होंने अंग्रेजो से लड़ते समय वीरगति को प्राप्त कर लिया था। 

यह लडाई उन्होंने अंग्रेजो से झांसी को बचाने के लिए लडी थी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनकी सेना पर अपना अधिकार कर लिया था । 

रानी लक्ष्मीबाई के पास तीन घोड़े थे जिनका नाम सारंग, बादल और पवन था। 

अंग्रेजो से युध्य के समय लक्ष्मी बाई बादल पर सवार थी। 

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी अंतिम सांस तक युध्य किया था लेकिन अत्यधिक खून बह जाने की वजह से वह ज्यादा समय जीवित नही रह सकी और अपनी साँसे त्याग दी। 

उनका अंतिम संस्कार ब्रिटिश जनरल ह्युरोज ने किया था। 

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@krishnapatel8792 | Posted on February 24, 2024

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था। लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी में 19 नवंबर सन 1828 को हुआ था। इसके अलावा रानी लक्ष्मी बाई को प्यार से मनु भी कहा जाता था। लक्ष्मी बाई के माता का नाम भागीरथी बाई था और उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था।

 झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ। लेकिन 21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव का निधन हो गया और झांसी पर अंग्रेजों की नजर आ गई। लेकिन रानी ने कह दिया कि वह अपनी झांसी अंग्रेजों को नहीं देंगी इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध किया।

 झांसी की रानी के पास तीन घोड़े हुआ करते थे जिनमें से पहले घोड़े का नाम था सारंगी, दूसरे घोड़े का नाम था बादल और तीसरे घोड़े का नाम था पवन। जिनमें से सबसे प्रिय घोड़ा बादल था। अंतिम युद्ध के समय रानी लक्ष्मीबाई जिस घोड़े पर सवार थी उसका नाम बादल था। क्योंकि रानी लक्ष्मीबाई का प्रिय घोड़ा बादल बहुत ज्यादा बहादुर और तेज था। और आज जब भी इतिहास मे साहसी घोड़े का जिक्र होता है तो रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े यानी कि उनके प्रिय घोड़े बादल का जिक्र जरूर होता है।

चलिए हम आपको रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी के बारे में बताते हैं:-

बताया जाता है कि 14 साल की उम्र में रानी लक्ष्मीबाई का विवाह हो गया था उनके पति का नाम महाराजा गंगाधर राव था। शादी के बाद ही रानी लक्ष्मीबाई का नाम रानी लक्ष्मीबाई पड़ा। और फिर उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव था लेकिन 4 महीने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।

 झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 18 जून सन 1858 को अंग्रेजों से लड़ाई करते वक्त हुई थी। रानी लक्ष्मी बाई अपने देश और न्याय के लिए लड़ते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया था।

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@sonamsingh1730 | Posted on February 27, 2024

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। मैं आपको बता दूं कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अपनी अंतिम सांस तक अंग्रेजों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के बाद वीरगति को प्राप्त हो गई। आज अपने सवाल किया है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े का नाम क्या है तो चलिए हम आपको इसकी भी जानकारी देते हैं।

 

 महारानी लक्ष्मी बाई  का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ था। महारानी लक्ष्मी बाई के माता का नाम भागीरथी था, और उनके पिताजी का नाम मोरोपंत तांबे था जो की चिकनाजी अप्पा के आश्रित थे। और उनके माता-पिता इन्हें बचपन में प्यार से मनु कह कर पुकारते थे। इतना ही नहीं रानी लक्ष्मीबाई ने बहुत ही कम उम्र में तलवारबाजी करना भी सीख गई थी। और फिर रानी लक्ष्मीबाई यानी कि मनु भाई का विवाह गंगाधर राव के साथ कर दिया गया। गंगाधर राव 1838 में झांसी के राजा घोषित किए गए थे। और फिर 21 नवंबर 1853 को झांसी के राजा गंगाधर राव का निधन हो गया। और उनके निधन के बाद झांसी पर अंग्रेजों की नजर आ गई। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने कह दिया कि वह अपनी झांसी अंग्रेजों को नहीं देंगीं । इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध किया। और फिर 23 मार्च 1858 को झांसी का ऐतिहासिक युद्ध प्रारंभ हुआ। जिसमें रानी लक्ष्मीबाई अकेले ही अपनी पीठ के पीछे अपने पुत्र दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार होकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करती रही।

 

 मैं आपको बता दूं कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पास तीन घोड़े हुआ करते थे। जिनमें से सारंगी बादल, और पवन थे। बादल रानी लक्ष्मी बाई का सबसे प्रिय घोड़ा हुआ करता था और अपने अंतिम युद्ध के समय रानी जी घोड़े पर सवार थी उसका नाम बादल था। बताया जाता है की रानी लक्ष्मीबाई अपने घोड़े पर बैठकर किले की 100 फीट ऊंची दीवार को पार कर गई थी। क्योंकि उनका घोड़ा बदल बहुत ही बहादुर और तेज हुआ करता था।

 

 

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