Student | पोस्ट किया
5अगस्त 2019 यह दिन भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। क्योंकि इस दिन जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई थी। हमारे देश के बहुत से लोग इस फैसले से बहुत खुश थे परंतु जम्मू कश्मीर के कुछ मंत्री इस फैसले से नाखुश थे। धारा 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री और जम्मू कश्मीर के गुपकार संगठन की पहली बैठक कल ही हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री के साथ गृहमंत्री अमित शाह साथ ही जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू कश्मीर के आठ दलों के 14 नेता शामिल थे। इसके साथ ही नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला तथा पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इस बैठक में शामिल हुई। इस बैठक में सभी को अपनी बात रखने का मौका मिला तथा प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें जम्मू कश्मीर के साथ मिलकर देश का विकास करना है। और जम्मू कश्मीर से दिल्ली की दिलों की दूरी कम करनी है। इस बैठक में एक बात जो सामने आई वह यह है कि अब जम्मू कश्मीर मे परिसीमन किया जाएगा। और उसके बाद विधानसभा के चुनाव करा दिए जाएंगे। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को एक पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में होने वाले चुनाव में सभी पार्टियों को बराबर हिस्सा दिया जाएगा। वर्तमान में देखे तो जम्मू कश्मीर में अलग-अलग लोकसभा विधानसभा क्षेत्र बने हैं। तो ऐसी स्थिति में वहां परिसीमन करना बहुत ही जरूरी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 के अनुसार सरकार हर 10 साल में परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। अब आप यह सोच रहे होगे कि परिसीमन होता क्या है? परिसीमन किसी राज्य के लोकसभा व राज्यसभा की सीटों को निर्धारित करता होता है। और जम्मू-कश्मीर में इसकी आवश्यकता भी है।
परंतु इस बैठक के पूरे होने के बाद जम्मू कश्मीर के नेताओं की ओर से बहुत से बयान सामने आए हैं। और इन बयानों में नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का भी एक बयान आया है जिसमें वे कहते हैं कि एक मिटिंग से ना तो दिल की और ना ही दिल्ली की दूरी खत्म होगी। ऐसी मीटिंग होती रही तो बात कुछ बने।प्रधानमंत्री की जम्मू कश्मीर में आने की कोई जरूरत नहीं है। असम,अरुणाचल प्रदेश और राज्य में तो नहीं आते दिल्ली में,तो हम क्यों आए? हमें हमारा राज्य दे दिया जाए तो हम वहाँ विकास भी कर लेंगे। आखिर जम्मू कश्मीर मे परिवर्तन की जरूरत ही क्या है? सभी जगह 2026 में परिसीमन होगा तो जम्मू कश्मीर में अभी से परिसीमन क्यों? और यह फैसला दिल्ली नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर और श्रीनगर लेंगे।
इसी संदर्भ में पीडीपी के अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी एक बयान दिया उन्होंने कहा" 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू कश्मीर की जनता धारा 370 के इस फैसले से काफी नाराज है। जिस तरह से अमाननीय तरीके से जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई उससे हम नाखुश हैं। और हम लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण तरीके से जम्मू कश्मीर मे धारा 370वापस लेकर लाएंगे। हमें जम्मू कश्मीर नेहरु जी ने दिया था ना कि पाकिस्तान ने तो इसे हमारे ही पास रहने दिया जाए। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाना बीजेपी का एक एजेंडा था। और इस मामले में शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान से बात भी करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर के नेताओं की बात सुनकर यह लगता है कि उन्हें भारत से ज्यादा पाकिस्तान की फिक्र है। देखा जाए तो जम्मू कश्मीर के कुछ लोगों ने वहां की राजनीति पर कब्जा किया है।
0 टिप्पणी